प्रधानमंत्री के निर्णय को किसानों ने सराहा

नए तीन कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वापस लेने के फैसला का किसानों ने सराहा है। अब कृषि से जुड़ी सभी व्यवस्था पहले की भांति चलेगी। किसानों का का कहना है कि सरकार के इस फैसले से कारपोरेट घराने व बिचौलियों को लाभ नहीं मिलेगी।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 10:08 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 10:08 PM (IST)
प्रधानमंत्री के निर्णय को किसानों ने सराहा
प्रधानमंत्री के निर्णय को किसानों ने सराहा

देवरिया: नए तीन कृषि कानूनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वापस लेने के फैसला का किसानों ने सराहा है। अब कृषि से जुड़ी सभी व्यवस्था पहले की भांति चलेगी। किसानों का का कहना है कि सरकार के इस फैसले से कारपोरेट घराने व बिचौलियों को लाभ नहीं मिलेगी। किसान संगठनों ने भी पीएम के इस निर्णय का स्वागत किया है।

भाकियू के जिलाध्यक्ष राघवेंद्र शाही ने कहा कि किसान संगठनों व आंदोलनकारी किसानों ने एक वर्ष से इस कानून को वापस कराने के लिए संघर्ष कर रहे थे। लाठियां खाई और बहुत से किसानों ने अपनी जान गंवा दी। किसानों के संघर्ष व बलिदान का नतीजा यह रहा कि प्रधानमंत्री ने इस नए कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा कर दी। यह किसानों के लिए एक सकारात्मक कदम है। अगर सरकार इस पर पहले निर्णय ले ली होती तो किसानों को जान नहीं गवाना पड़ता। करमेल के किसान सुदामा निषाद ने कहा कि प्रधानमंत्री ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी कोई गारंटी नहीं दी है। इस मुद्दे पर कानून बनाया जाए, जिससे किसानों को कम मूल्य पर अपने अनाज को न बेचना पड़े। किसानों की अन्य समस्याओं पर भी सोचना चाहिए। यह किसानो की जीत और निरंतर आंदोलन का परिणाम है। बरईटोला के किसान मुन्ना चौरसिया ने कहा कि सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है, कृषि सुधार के लिए लाए गए कानून से किसानों को नुकसान होता। दिल्ली में चल रहे आंदोलन के खत्म होने से लोगों को राहत मिलेगी। सरकार को इस पर पहले ही कदम उठा लेना चाहिए था। कुंडौली के किसान अरुण सिह ने कहा कि किसानों को पहले भय था कि जो उनके पास है, वह समाप्त हो जाएगा। केंद्र सरकार के कृषि कानून वापस लेने की घोषणा किसानों की राहत भरी सूचना है। सरकार का यह फैसल किसानों के हित में है। अब देश का किसान फिर से पूरी ऊर्जा के साथ अपने खेतों में जाएगा। बभनौली पांडेय के किसान चतुरानन पांडेय ने कहा कि नए कृषि कानून से किसानों का हक छीन जाता, कृषि बिल वापस करके सरकार ने सराहनीय कार्य किया है। इस कानून को सरकार को लाना ही नहीं चाहिए था। इस कानून के विरोध कर रहे सैकड़ों किसानों ने अपनी जान गंवा दी। उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए।

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