देवरिया में गोबर से तैयार दीये व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की अमेजन पर धूम

शहर से सटे सदर विकास खंड के बड़ी बभनी की रहने वाली आशा कुशवाहा की सोच व एनआरएलएम के सहयोग से क्षेत्र की पचास महिलाओं के परिवार में खुशियां बिखर गई है। दीपों का त्योहार दीपावली चंद दिनों बाद है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपक से रोशन करते हैं और खुशियां मनाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:55 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:55 PM (IST)
देवरिया में गोबर से तैयार दीये व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की अमेजन पर धूम
देवरिया में गोबर से तैयार दीये व लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति की अमेजन पर धूम

देवरिया: दीपों का त्योहार दीपावाली पर लोग चाइनीज सामान का प्रयोग न करें। इसके लिए देवरिया की महिलाएं नया प्रयोग की हैं। गोबर से दीये व लक्ष्मी गणेश की मूर्ति तैयार की हैं और इनके दीये व मूर्ति अमेजन पर धूम मचा दी हैं। इनके दीये की मांग केवल यूपी ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों में होने लगी है। मांग बढ़ने के साथ ही स्वयं सहायता से जुड़ी यह महिलाएं अब मशीन मंगाकर भी दीये गोबर से तैयार करने लगी हैं। आशा की सोच से 50 घरों की बदल रही सूरत शहर से सटे सदर विकास खंड के बड़ी बभनी की रहने वाली आशा कुशवाहा की सोच व एनआरएलएम के सहयोग से क्षेत्र की पचास महिलाओं के परिवार में खुशियां बिखर गई है। दीपों का त्योहार दीपावली चंद दिनों बाद है। इस दिन लोग अपने घरों को दीपक से रोशन करते हैं और खुशियां मनाते हैं। चाइनीज झालर का लोग प्रयोग न करें, इसके लिए आशा गोबर से दीये व लक्ष्मी-पार्वती की मूर्ति तैयार कर रही हैं। उनके साथ पचास महिलाएं भी जुड़ी हुई है और इस कार्य में उनका सहयोग कर रही हैं। दीये की बढ़ गई है डिमांड गोबर से तैयार 100 दीये पर 20 से 22 रुपये खर्च आ रहा है। अभी तक आशा इसे 42 से 45 रुपये में बेचती रही हैं। लेकिन अमेजन पर इसकी डिमांड बढ़ गई है। तीन से चार गुना अब आशा को लाभ होने लगा है। आशा का कहना है कि पांच दिनों से वह दीये बनाने का काम शुरू की है। दीये बनाने के लिए उन्होंने 13 हजार रुपये खर्च कर मशीन मंगवाया है। उस मशीन से छह तरह के दीये तैयार हो रहे हैं। अभी तक 30 हजार दीये तैयार कर लिए गए हैं। गांव-गांव से खरीद कर मंगाया जाता है गोबर आशा गांव-गांव से गोबर खरीद कर मंगाती हैं। एक बोरी गोबर का वह 100 रुपये देती हैं और फिर उसका पाउडर तैयार किया जाता है। पाउडर तैयार होने के बाद दीये बनाए जाते हैं। गोबर से गमला बनाने की तैयारी आशा का कहना है कि वह अपने साथ 400 महिलाओं को रोजगार देने की योजना में है। दीये की बढ़ती मांग को देखते हुए अब वह गोबर से गमला बनाने की कार्य शुरू करने वाली हैं। इसके लिए उन्होंने मशीन की डिमांड भी किया है।

विजय शंकर राय, डीसी एनआरएलएम ने बताया कि

अमेजन पर जिले में गोबर से तैयार दीये व मूर्तियों की मांग बढ़ी है। इसको देखते हुए महिलाएं तेजी से मूर्ति व दीये तैयार कर रही हैं।

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