पांचवें दिन जयकारे से गूंजा देवी मंदिर

आचार्य ने कहा कि श्रीकृष्ण सभी ²ष्टिकोण से पूर्णावतार हैं। उनके जीवन में कहीं भी न्यूनता को जगह नहीं है। एक भी स्थान ऐसा नहीं है जहां कुछ कमी महसूस हो। आध्यात्मिक सामाजिक नैतिक या दूसरी किसी भी ²ष्टि से देखेंगे तो मालूम होगा कि कृष्ण जैसा समाज सुधारक व उद्धारक दूसरा कोई पैदा ही नहीं हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 11:45 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 11:45 PM (IST)
पांचवें दिन जयकारे से गूंजा देवी मंदिर
पांचवें दिन जयकारे से गूंजा देवी मंदिर

देवरिया: नवरात्र के पांचवें दिन शनिवार को देवी मंदिरों में पूजन-अर्चन से समूचा माहौल भक्तिमय हो गया। देवी मंदिर में बड़ी संख्या में सुबह शाम लोग पूजन-अर्चन के लिए पहुंच रहे हैं। प्रमुख देवी मंदिरों में श्रद्धालु पूजन व दर्शन किए।

लोग नारियल चुनरी चढ़ा कर मन्नतें मांगे।

घरों में कलश रख कर पूरा दिन मां दुर्गा की पूजा, उपासना की जा रही है। देवरही माता मंदिर, न्यू कालोनी व अहिल्यापुर देवी मंदिर में पूजन-अर्चन के लिए लोग पहुंचे। देवी मंदिरों में हदहदवा भवानी प्रतापपुर, सपाती माई मंदिर, लाहिलपार भगवती मंदिर, अहिल्यापुर, भगड़ा भवानी मझौली राज में दर्शन-पूजन के लिए लोग पहुंचे। मंदिरों में बज रहे मंत्र ध्वनि व मंत्रों के उच्चारण के समूचा माहौल भक्तिमय रहा।

भगवान के जन्मोत्सव पर गूंजा जय श्रीकृष्ण

सिधावे में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के तहत श्री कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन किया गया। कथा स्थल पर भगवान की झांकी सजाई गई।

इस दौरान कथा व्यास शास्त्री रामानंद महाराज ने कहा कि जब बादलों की गड़गड़ाहट होती हो, बिजली चमकती हो, मूसलधार वर्षा हो रही हो उस समय श्री कृष्ण का जन्म होता है। जब जीवन में अंधेरा फैला हो, चारों ओर निराशा का वातावरण महसूस होता हो, आपत्ति की वर्षा टूट पड़ी हो, दुख दैन्य के काले बादल धमकी देते हुए गड़गड़ाहट करते हों तब भगवान श्री कृष्ण जन्म लेते हैं।

आचार्य ने कहा कि श्रीकृष्ण सभी ²ष्टिकोण से पूर्णावतार हैं। उनके जीवन में कहीं भी न्यूनता को जगह नहीं है। एक भी स्थान ऐसा नहीं है जहां कुछ कमी महसूस हो। आध्यात्मिक, सामाजिक, नैतिक या दूसरी किसी भी ²ष्टि से देखेंगे तो मालूम होगा कि कृष्ण जैसा समाज सुधारक व उद्धारक दूसरा कोई पैदा ही नहीं हुआ है। श्रीकृष्ण का जीवन इतना सुंदर और सुगंधित था कि जो कोई उनकी ओर देखता उसे वे अपने ही लगते थे। जो सबको अपनी तरफ खींचता है, आकर्षित करता हो उसी का नाम कृष्ण है। आचार्य ने कहा कि हम कृष्ण के जीवन से सीख लें। हमारे मस्तिष्क में कृष्ण का विचार, ह्वदय में कृष्ण का प्रेम, मुख में कृष्ण का नाम और हाथ में कृष्ण का काम हो, ऐसा हम सब का जीवन होना चाहिए। आचार्य ने जब भजन गाया तो सभी भक्त भावविभोर होकर आनंद से नाचने लगे। भागवत भगवान की पूजा यजमान वीरेंद्र तिवारी व लीलावती तिवारी ने की।

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