देवरिया के बेलना जमींदारी बांध को मरम्मत की दरकार

दोआबा में यहीं से बाढ़ का पानी गोरखपुर जनपद के पकड़ियार की तरफ आकर दबाव बनाता है। जहां से ओवरफ्लो कर राप्ती कहर बरपाना शुरू कर देती है। राप्ती से कुछ दूर करीब गोरखपुर-देवरिया की सीमा पर तबाही का मंजर देखा जा चुका है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 01:06 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 01:06 AM (IST)
देवरिया के बेलना जमींदारी बांध को मरम्मत की दरकार
देवरिया के बेलना जमींदारी बांध को मरम्मत की दरकार

देवरिया: रुद्रपुर इलाके में दो दशक पूर्व राप्ती के कहर से ताश के पत्ते की तरह बिखर जाने वाले बेलवा-जमींदारी बांध के हालत आज भी जस के तस हैं। 0.700 मीटर लंबे बंधे पर बचाव के नाम पर महज खानापूरी हो रही है। मिट्टी गिराकर विभाग ने कोरम पूरा कर लिया है। गोरखपुर जनपद में अगर राप्ती का जलस्तर बढ़ा तो उसके कहर से दोआबा के 52 गांव के लोगों को एक बार फिर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। करीब सात करोड़ खर्च कर बचाव कार्य होना था जबकि अभी तक मात्र 25 फीसद ही काम हो सका है। मानसून के दस्तक देने के कारण लगातार हो रही बरसात से इलाके के लोग दहशत में हैं।

दोआबा में यहीं से बाढ़ का पानी गोरखपुर जनपद के पकड़ियार की तरफ आकर दबाव बनाता है। जहां से ओवरफ्लो कर राप्ती कहर बरपाना शुरू कर देती है। राप्ती से कुछ दूर करीब गोरखपुर-देवरिया की सीमा पर तबाही का मंजर देखा जा चुका है। गोरखपुर जनपद के सीमावर्ती इलाकों में बाढ़ आने के बाद रुद्रपुर में खतरा और बढ़ जाता है। बेलवा जमींदारी तटबंध से ही दोआबा के तबाही का इतिहास शुरू होता है। 1984,1998 और 2017 में दोआबा में तबाही का मंजर यहीं से शुरू हुआ था। गोरखपुर जनपद के झंगहा, बरही, बैठा महुंआखोर सहित करीब 52 गांवों पर बढ़ते जलस्तर का दबाव रुद्रपुर की तरफ हमेशा बना रहता है। बाढ़ विभाग का बंधा न होने के कारण इस पर 2018 में करीब एक करोड़ की लागत से मनरेगा से कार्य कराया गया था। इस बांध का करीब आधा हिस्सा गोरखपुर जनपद में पड़ता है। रुद्रपुर एसडीएम संजीव कुमार उपाध्याय ने बताया कि बंधे पर मरम्मत कार्य चल रहा है। बाढ़ विभाग को निरोधात्मक कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है। यह होना है काम

मुख्यमंत्री त्वरित विकास योजना से करीब सात करोड़ की लागत से बांध का सात मीटर लंबा और 3.75 मीटर पिचिग का कार्य होना है। अब तक मात्र शासन से 25 फीसद धनराशि अवमुक्त हुई है। जिसमें सात किमी तक मिट्टी भराई काम अंतिम चरण में हैं। उक्त मिट्टी भराई से 7.5 मीटर टाप पर पिचिग कार्य होना है। कार्य को फरवरी 2022 तक पूरा करना है। प्रभावित होने वाले गांव

भगवानमांझा, बेलवा दुबौली, लालपुर परसियां , तिघरा-खैरवा क्या कहते हैं तटवर्ती गांव के लोग

रामसकल, मोहन सिंह, हेमंत उपाध्याय , विनोद पासवान, जयचंद सिंह, सूर्यनाथ सिंह, बाबूराम, राणा प्रताप सिंह, व्यासमुनि तिवारी कहते हैं कि अगर बांध का ठीक से मरम्मत करा दिया जाए तो काफी हद तक खतरे को कम किया जा सकता है।

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