योग का कमाल, अचलस्थ को मिली नई जिदगी
हर जगह से निराश रामप्रीत को योग ने किया निरोग योग प्रशिक्षक ने नहीं मानी हार स्वस्थ होने तक कराते रहे योग प्राणायाम
जागरण संवाददाता, देवरिया: योग व प्राणायाम के जरिये एक ऐसे असाध्य रोगी को योग प्रशिक्षक ने निरोग किया जो करीब ढाई साल से बिस्तर पर जिदगी से जूझ रहे थे। दोनों हाथ-पैर से पूरी तौर पर अचलस्थ को योग के जरिये नई जिदगी दी है।
कुशीनगर जिले के कसया के रहने वाले कृषि विभाग में लिपिक के पद पर तैनात रामप्रीत ढाई साल पहले लकवा के शिकार हो गए। इस दौरान स्वजन रामप्रीत को लेकर गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी व दिल्ली इलाज के लिए ले गए। कोई खास फायदा नहीं हुआ। चिकित्सकों ने दवा के सहारे जिदगी बिताने व जल्द ठीक न होने की बात कहकर घर भेज दिए। जिदगी से निराश रामप्रीत को उनके रिश्तेदार के जरिये देवरिया शहर के राघवनगर में योग प्रशिक्षक डीके पांडेय के बारे में जानकारी हुई। स्वजन उनसे संपर्क किए। उसके बाद पांडेय उनके घर पर पहुंचे। उसके बाद शुरू हो गया योग का सिलसिला। बिस्तर पर लेटे रामप्रीत को योग प्रशिक्षक पांडेय उनके घर पर प्रतिदिन एक से डेढ़ घंटे योग प्राणायाम का अभ्यास बिस्तर पर लेटे अवस्था में कराने लगे। यह प्रक्रिया करीब तीन महीने तक चली। उसके बाद धीरे-धीरे उनके हाथ-पैर में पावर आने लगा। फिर वह बिस्तर पर बैठने लगे। लेकिन चल नहीं पा रहे थे। योग प्रशिक्षक ने भी हार नहीं मानी और स्वजन को भरोसा देते रहे। आखिरकार उनको डेढ़ साल बाद पैर पर खड़ा कर दिया। अब वह धीरे-धीरे चलने लगे। लेकिन योग प्राणायाम की प्रक्रिया जारी रही। अब वह पैदल चलकर ड्यूटी कर रहे हैं।
इसके अलावा नीलम सिंह को गले व हाथ में परेशानी थी। भस्त्रिका, प्राणायाम के जरिये हाथ ठीक किया गया। गले की परेशानी भुजंग आसन से ठीक किया गया। यह भी लंबे समय से पीड़ित थीं।
डा. पांडेय ने बताया कि कपालभाति, भस्त्रिका, अनुलोम -विलोम, सूर्य नमस्कार आदि के जरिये ठीक हो गए। सब योग व प्राणायाम का परिणाम है। पांडेय का मानना है कि योग प्राणायाम के जरिये असाध्य रोगों को ठीक किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए समय का इंतजार करना पड़ेगा।