मोती बीए के साहित्य संसार को सहेजने की जरूरत

भोजपुरी के महाकवि मोती बीए की 102वीं जयंती पर विशेष

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 11:39 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 11:39 PM (IST)
मोती बीए के साहित्य संसार को सहेजने की जरूरत
मोती बीए के साहित्य संसार को सहेजने की जरूरत

जागरण संवाददाता, बरहज : मोती बीए का नाम जेहन में आते ही एक असाधारण प्रतिभा वाले व्यक्ति का चेहरा आंखों के सामने आ जाता है। वे कवि, कलाकार के अलावा स्वाधीनता आंदोलन के सजग सिपाही भी थे।

मोती बीए की साहित्यिक यात्रा जीवन मूल्यों, संघर्षों और उदार विचारों की सफल गाथा रही है। मेघदूत जैसी कृति का भोजपुरी अनुवाद, शेक्सपियर के सानेट और अब्राह्म लिकन की जीवनी का भोजपुरी में रूपांतरण किए। हमारे बीच अपनी अमर कृतियों के साथ आज भी जिदा हैं। साहित्यिक परंपरा में हिदी, भोजपुरी, उर्दू के साथ अनुवाद की भी रचनात्मकता हैं। इनकी रचना संसार पर गौर किया जाए तो मुख्य रूप से भोजपुरी में सेमर के फूल, मोती के मुक्तक, बन बन बोले ले कोयलिया काव्य संग्रह, हिदी में अश्वमेघ यज्ञ, कवि और कविता, पायल छम, छम बाजे, आंसू डूबे गीत, हरसिगार के फूल, इतिहास का दर्द, तुलसी रसायन के साथ ही उर्दू में रश्के गुहर, तिनका-तिनका शबनम शबनम, लव एंड ब्यूटी जैसी रचनाएं प्रसिद्ध हैं। शेक्सपियर के सानेट का हिदी पद्म अनुवाद, अब्राह्म लिकन का भोजपुरी रूपांतरण, मेघदूत का भोजपुरी पद्यानुवाद सहित करीब 50 से अधिक विविध रचनाएं हैं। कई पत्र पत्रिकाओं में आलेख, जीवंत संस्मरण और डायरी के पन्ने भी प्रकाशित हैं। उनका मानना था कि दर्द जितना इलाज उतना हो, मुश्किलें जितनी रियाज उतना हो, तंगदस्ती में हम जीयें जितना बंदा परवर नवाज उतना हो। सचमुच महाकवि और साहित्यिक सम्राट मोतीजी को समझ पाने के लिए विशाल कविता संसार के सागर में गहरा गोता लगाना पड़ेगा। मोती बीए हिदी फिल्मों में भोजपुरी गीतों के प्रवर्तक के रूप जाने जाते हैं। नदिया के पार सहित सैकड़ों फिल्मों में गीतों की रचना की है। भोजपुरी बोली को सिनेमा हाल में लाने वाले प्रथम व्यक्ति थे मोती बीए : न अगर होती तो क्या था, पात्र हाथ से गिर जाना था, एक दिन मधुकर पीते-पीते। मुझे एक दिन मर जाना था, आखिर कुछ दिन जीते-जीते', 'झकोरों में पड़ा जीवन तुम्हारा गीत गाता है, भंवर का डर नहीं मुझको तुम्हारी आंख के आगे', 'असो आइल महुआबारी में बहार सजनी' व 'हम चले लम्बे सफर को अलविदा ऐ दोस्तों, मौज-ए दरिया में बहो तुम अलबिदा ऐ दोस्तों..।' अपने इन गीतों के माध्यम से कवि मंचों पर धूम मचा देने वाले महाकवि मोती बीए भोजपुरी गीतों को फिल्मी दुनिया में प्रतिष्ठित करने वाले पहले शख्स हैं। पहली बार भोजपुरी बोली को फिल्मी पर्दे पर उतारने वाले मोतीजी हैं। अस्सी से अधिक फिल्मों में गीत लिखे हैं। 1947 में किशोर साहू की फिल्म 'नदिया के पार' जो अभिनेता दिलीप कुमार व अभिनेत्री कामिनी कौशल को लेकर बनाई गई थी, उसमें मीती जी ने सबसे पहले भोजपुरी गीत 'कठवा के नइयां, बनइहे रे मलहवा, नदिया के पार दे उतार' देकर भोजपुरी बोली को सिनेमा हाल में लाने वाले प्रथम व्यक्ति थे। इसी फिल्म में उनकी एक गजल खासी चर्चित हुई थी, जिसका बोल था 'हमको तुम्हारा ही आसरा, तुम हमारे हो न हो.इसके अलावा फिल्म साजन, कैसे कहूं, राजपूत, राम विवाह, गजब भइले रामा, वीर घटोत्कच जैसी फिल्मों में अभिनय के साथ गीत भी लिखे। उनका जीवन गीत सागर में ही डूबता-उतराता रहा। तभी तो उन्होंने लिखा है 'आंसुओं के पार से गाकर मुझे किसने पुकारा, गीत जीवन का सहारा।' आज ऐसे भोजपुरी चलचित्र, साहित्य जगत के महानायक का भोजपुरिया समाज सदैव ऋणी रहेगा। : मोती बीए एक अगस्त 1919 में तहसील क्षेत्र के बरेजी गांव में पैदा हुए थे। इन्होंने 1941 में एमए, बीटी और साहित्य रत्न की डिग्री हासिल कर फिल्म जगत से जुड़ गए थे। 18 जनवरी 2009 को दुनिया को अलविदा कह गए। -- अंजनी, मोती को सहेजने में जुटे

बरहज: मोती बीए के छोटे पुत्र अंजनी उपाध्याय उनकी एक-एक रचनाओं को सहेजने में जुटे हैं। उनकी पुस्तकों, डायरी आदि का करीब डेढ़ हजार पुस्तक मोती बीए पुस्तकालय के रूप में संकलित किए हैं। मूल कृतियों को संपदा वेबसाइट पर लोड की है। अप्रकाशित रचनाओं को नेट पुस्तक के रूप में जारी किया है। 1939 में मोती जी की पहली पुस्तक लतिका, महामौन, नाटक मातृ मंदिर, प्रेम प्रेम है पर कार्य जारी है। जल्द ही नेट पुस्तक के रूप में होगी। मोती बीए जीवन के अंतिम चरण तक साहित्य साधना में जुटे रहे। भोजपुरी सागर के मोती.मोती बीए किसी पहचान के मोहताज नहीं। उन्होंने जिस अंदाज में और जिस समय भोजपुरी भाषा में लिखने का वीणा उठाया शायद ऐसा विरले लोग ही कर पाते। डा.अजय मिश्र

प्राचार्य, बीआरडी बीडी पीजी कालेज, बरहज

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