मोती बीए की रचनाएं शोध का विषय: डा.महेंद्रनाथ

102वीं जयंती पर याद किए गए भोजपुरी के पुरोधा मोती बीए लोगों ने चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनकी रचनाओं पर की चर्चा

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 11:27 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 12:34 AM (IST)
मोती बीए की रचनाएं शोध का विषय: डा.महेंद्रनाथ
मोती बीए की रचनाएं शोध का विषय: डा.महेंद्रनाथ

जागरण संवाददाता, बरहज: साहित्यकार मोती बीए की 102 वीं जयंती नंदना वार्ड स्थित लक्ष्मी निवास पर रविवार को मनाया गया। वक्ताओं ने उनकी रचनाओं व साहित्य पर चर्चा की। काव्य पाठ सुनाते हुए उनके चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया। उन्हें भोजपुरी, हिदी साहित्य का महान रचनाकार बताया। मुख्य अतिथि ललित निबंधकार व साहित्यकार डा. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि मोती बीए की गजलें व साहित्यिक कविताओं ने साहित्य प्रेमियों के दिलों में जगह बनाया है। उनकी रचनाएं शोध का विषय है।

विशिष्ट अतिथि प्रधानाचार्य रामेश्वर प्रसाद यादव, रामबिलास प्रजापति ने कहा कि उनके गीत जनमानस में आज भी काफी चर्चित है। प्रधानाचार्य रमेश तिवारी अंजान ने कहा कि उन्होंने भोजपुरी बोली को सेलुलाइड पर लाने का कार्य किया। संचालन अंजनी उपाध्याय व राकेश श्रीवास्तव ने की। छात्र फैजान अंसारी ने वाणी वंदना, पं. गिरीश मिश्र ने मंत्रोच्चार व छात्र अंजली गिरी, संजना गिरी ने काव्यपाठ सुनाया। इस अवसर पर डा. संकर्षण मिश्र, कवि भालचंद उपाध्याय, जितेन्द्र भारत, चितामणि साहनी, अशरफ आजमी, रविन्द्र पाल, प्रहलाद यादव, शंभू दयाल भारती, रविद्र पाल, कृष्णकांत तिवारी, आलोक पाठक, अरविद त्रिपाठी, रमाशंकर तिवारी, श्रीप्रकाश पाल, सूर्यनाथ सिंह, बीके हिद, मोहम्मद अशरफ, अखिलेश्वर सिंह, अगमेश शुक्ल मौजूद रहे। .जनसंघर्षों में हमेशा अगली कतार में रहते थे

जागरण संवाददाता, खुखुंदू, देवरिया: मजदूर किसान एकता मंच के तत्वावधान में महात्मा बुद्ध पब्लिक स्कूल मुहैला तिराहे पर रविवार को स्मृति सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता व संस्कृतिकर्मी रहे विश्वंभर ओझा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। संत विनोबा पीजी कालेज के अवकाश प्राप्त प्राचार्य डा. असीम सत्यदेव ने कहा कि वह छात्र जीवन से ही जुझारू और क्रांतिकारी व्यक्तित्व के धनी रहे। वह जनसंघर्षों में हमेशा अगली कतार में रहते थे।

उनका अचानक चले जाना स्तब्ध करने वाला है। गोरखपुर से आए वरिष्ठ नाटककार व शिक्षक राजाराम चौधरी ने कहा कि क्रांतिकारियों के विचार हमेशा जिदा रहते हैं। शिवनंदन ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने भले ही उन्हें हमसे छीन लिया हो, लेकिन यादों में सदैव जिदा रहेंगे। पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि वह जन पक्षधर कार्यकर्ता थे। बाबूराम विश्वकर्मा ने कहा कि उनकी कमी को पूरा करना असंभव है। राजनीतिक कार्यकर्ता डा. चतुरानन ओझा ने कहा कि आमजन के पक्ष में खड़े रहते थे। उनके सपनों को पूरा करने का हर संभव प्रयास होगा। इस मौके पर डा. दूधनाथ, उद्भभव मिश्र, राजेश शर्मा, नित्यानंद त्रिपाठी, चक्रपाणि ओझा, सर्वेश्वर, जगदीश पांडेय, बैजनाथ मिश्र, कृपाशंकर, सुजीत श्रीवास्तव, राजेश, श्रवण कुमार, मनोज मिश्रा, संतोष, चंद्रकेतु, मनोज भारती, बृजेश कुशवाहा, आमोद राय, मल्ल, मिराज, संदीप, धर्मेंद्र आजाद, मुन्ना, रामकेवल, राजेश मणि, अजय राय आदि रहे।

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