प्रतिबंधित साफ्टेवयर से बना ई टिकट बना रहा ट्रेवेल्स संचालक गिरफ्तार
शहर के भीखमपुर रोड स्थित यूसुफ ट्रैवेल्स पर सीआइबी व आरपीएफ ने की छापेमारी
जागरण संवाददाता, देवरिया: शहर के भीखमपुर रोड स्थित यूसुफ ट्रेवेल्स पर आरपीएफ व सीआइबी की संयुक्त टीम ने गुरुवार को छापेमारी कर प्रतिबंधित साफ्टवेयर एन-गेट से रेलवे के ई-टिकट बनाने वाले ट्रेवेल्स संचालक को गिरफ्तार कर लिया। साथ ही 44 ई-टिकट भी बरामद किया गया है। इस मामले में सदर आरपीएफ में मुकदमा दर्ज किया गया है। गिरोह में शामिल अन्य लोगों की तलाश में सीआइबी जुट गई है। सीआइबी (क्राइम इंटेलिजेंस ब्रांच) भटनी व आरपीएफ देवरिया को सूचना मिली कि संबंधित ट्रेवेल्स पर प्रतिबंधित साफ्टवेयर से हर दिन ई-टिकट बनाया जा रहा है। दोपहर को संयुक्त टीम ने ट्रेवेल्स पर छापेमारी की। टीम के पहुंचते ही संचालक भागने लगा। टीम ने दौड़ाकर पकड़ लिया। पूछताछ में उसने अपना नाम युसुफ अंसारी बताया। वह रामगुलाम टोला का रहने वाला है। उसने पूछताछ में बताया कि वह आइआरसीटीसी की कुल 105 नामों से फर्जी आइडी बना रखा है। उसी से वह टिकट बनाने का काम करता है। जांच के दौरान उसके पास से 44 टिकट बरामद किए गए। उसने बताया कि एक टिकट पर वह पांच सौ से एक हजार रुपये तक की अधिक की वसूली करता है। पूछताछ को नोटिस तामिला कराने कुशीनगर व गोरखपुर पहुंची सीबीआइ जागरण संवाददाता, देवरिया: जनपद के चर्चित बाल गृह कांड की जांच करने के लिए जिले में पहुंची सीबीआइ ने पूछताछ करने के लिए नोटिस तामिला कराने के लिए गुरुवार को कुशीनगर व गोरखपुर पहुंची। शुक्रवार से जांच प्रक्रिया तेज होने की बात कही जा रही है। जिले में यह टीम 30 जुलाई तक रहेगी।
बाल गृह कांड की जांच सीबीआइ के इंस्पेक्टर विवेक श्रीवास्तव कर रहे हैं। बुधवार से जिले में इंस्पेक्टर के नेतृत्व में दो सदस्यीय टीम जिले में आ गई है। डाक बंगला को टीम ने अपना कैंप कार्यालय बनाया है। सूत्रों का कहना है कि टीम सुबह दस बजे ही डाक बंगला से निकल गई। कुशीनगर व गोरखपुर के कुछ लोगों को पूछताछ करने के लिए नोटिस तामिला कराने के लिए गई। हालांकि देर रात तक टीम जिले में नहीं पहुंची थी।
यह है मामला
सदर रेलवे स्टेशन रोड में मां विध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह मामले का पर्दाफाश पांच अगस्त 2018 को पर्दाफाश हुआ था, इस मामले में संचालक गिरिजा त्रिपाठी समेत कई लोगों को पुलिस ने जेल भेजा पहले इसकी जांच एसआइटी कर रही थी। 2019 से सीबीआइ कर रही है।