जिले में खतरे की घंटी बजा रहे 120 एमडीआर टीबी मरीज

एमडीआर टीबी के मरीज से संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। अगर किसी बस या ट्रेन में अगर कोई एमडीआर मरीज सफर कर रहा है और वह मास्क लगाए बिना खांस या छीक रहा है तो आस पास के अलावा कई लोगों को संक्रमित कर सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 12:43 AM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 12:43 AM (IST)
जिले में खतरे की घंटी बजा रहे 120 एमडीआर टीबी मरीज
जिले में खतरे की घंटी बजा रहे 120 एमडीआर टीबी मरीज

देवरिया: जिले में टीबी के मरीज विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं। टीबी उन्मूलन के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। सच्चाई यह है कि टीबी के मरीजों को ठीक से खोजा जाए तो संख्या कई गुनी हो सकती है। जिले में सामान्य टीबी के मरीजों में एमडीआर (मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट) मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। जिले में अभी भी 120 एमडीआर टीबी मरीज हैं। जिनका इलाज चल रहा है।

एमडीआर टीबी के मरीज से संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। अगर किसी बस या ट्रेन में अगर कोई एमडीआर मरीज सफर कर रहा है और वह मास्क लगाए बिना खांस या छीक रहा है तो आस पास के अलावा कई लोगों को संक्रमित कर सकता है। मरीज को काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। इस खतरे को विभाग भी जानता है। सच्चाई यह है कि इसकी दवा लंबे समय तक चलती है लेकिन मरीज दवा का कोर्स पूरा किए बिना ही बीच में दवा छोड़ देता है और यह एक बार फिर से वापस लौट आती है।

सीएमओ डा. आलोक पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) को सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। जिला अस्पताल, सीएचसी व पीएचसी में टीबी की जांच व निश्शुल्क इलाज का इंतजाम भी किया गया है। एक वर्ष में मिले 4417 टीबी के मरीज

मरीज नौ माह तक बराबर दवा ले तो उसे बीमारी से छुटकारा भी मिल सकता है, लेकिन एमडीआर टीबी की श्रेणी में आने के बाद मर्ज को ठीक करना आसान नहीं है। जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग को जिले में जनवरी 2020 से 23 फरवरी 2021 तक 4417 में मरीज मिले हैं। मिलने वाले मरीजों में 120 मरीज एमडीआर मरीज हैं। नौ माह तक चलेगा दवा का कोर्स

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. बी झा के अनुसार एमडीआर टीबी की छह दवाएं दो साल तक चलाई जाती थी। अब बेडाक्विलिन नामक सातवीं दवा जोड़ दी गई है। यह एक तरह की बैक्टीरियोसाइडल होती है, जो टीबी के बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकती है। इस दवा को केवल शुरुआती पांच माह तक लेना होता है। जिसके बाद दवा के कोर्स की अवधि दो साल से घटकर नौ महीने ही रह जाएगी। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल में सभी दवा उपलब्ध है। मरीजों का चयन कर उनका इलाज कराया जा रहा है। कुछ मरीज बीच में दवा बंद कर देते हैं। इसकी वजह से समस्या हो रही है।

chat bot
आपका साथी