डार्क जोन में भी चीर रहे धरती की कोख, कर रहे जल का दोहन

जागरण संवाददाता चित्रकूट कहने को क्षेत्र डार्क जोन में है यहां आम आदमी के साथ ही सभ्

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 10:40 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 10:40 PM (IST)
डार्क जोन में भी चीर रहे धरती की कोख, कर रहे जल का दोहन
डार्क जोन में भी चीर रहे धरती की कोख, कर रहे जल का दोहन

जागरण संवाददाता, चित्रकूट : कहने को क्षेत्र डार्क जोन में है, यहां आम आदमी के साथ ही सभी को पानी की समस्या से दो चार होना पड़ता है, बावजूद इसके एक दो नहीं बल्कि करीब एक दर्जन से अधिक पानी के कारोबारी मोटी कमाई के चक्कर में यहां गहरी बोरिग कर पानी का दोहन कर रहे है, और ये सब हो रहा है विभाग के अधिकारियों के नाक के नीचे। बावजूद इसके वह इन सब से अनजान है।

जिले में चित्रकूटधाम कर्वी और रामनगर ब्लाक वर्ष 2012 से डार्क जोन है। यहां का भूजल स्तर काफी नीचे है जिससे सिचाई नलकूप के साथ कामर्शियल बोरिग पर पूर्ण प्रतिबंध है। यदि किसी को गहरी बोरिग करानी भी है तो उसके लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड की अनुमति जरूरी है। लेकिन जिले में इस नियम की खूब धज्जियां उड़ रहीं हैं। कर्वी ब्लाक के डार्क जोन में सिद्धपुर, कर्वी माफी, सोनेपुर, बनकट, सीतापुर, कालूपुर, चकौंध समेत जिला मुख्यालय आदि में करीब एक दर्जन कामर्शियल बोर हैं। जिनसे मिनरल वाटर के प्लांट लगे है और प्रतिदिन हजारों लीटर पानी धरती की कोख से निकाला जाता है।

बोलीं पर्यावरण विद

पर्यावरणविद गुंजन मिश्रा ने बताया कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने सात अप्रैल 2013 को मिनरल वाटर प्लांट के अनापत्ति प्रमाण पत्र को लेकर एक पत्र जारी किया था। जिसमें कहा था कि केंद्रीय भूजल बोर्ड अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने से पहले इस तरह के उद्योगों को संबंधित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व स्थानीय प्रशासन ने अनुमति लेनी आवश्यक है कि कितना भूमिगत जल का उपयोग करना है।

केंद्रीय भूजल बोर्ड ने भले ही मिनरल वाटर प्लांट के लिए कड़े नियम बनाए है लेकिन जिले में उसका पालन नहीं हो रहा है। अधिकारियों को यह तक नहीं पता है कि कितने प्लांट संचालित है।

वर्ष 2020 से जिला स्तरीय कमेटी को अनुमति देने की व्यवस्था कर दी गई है उसके पहले बोर्ड ही अनापत्ति प्रमाण पत्र देता था जो चित्रकूट में किसी के पास नहीं है।

- जगदंबिका प्रसाद, विज्ञानी केंद्रीय भूजल बोर्ड

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