पाठा में बही दस्यु मुक्त हवा, चहका लोकतंत्र
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शिवा अवस्थी, चित्रकूट : वर्ष 1962 से 2017 तक मानिकपुर विधानसभा क्षेत्र ने 15 चुनाव देखे हैं। हर चुनाव में ददुआ, रागिया, बलखड़िया व बबुली कोल जैसे इनामी डकैतों का साया मंडराता रहा। पहली बार 2019 के उपचुनाव में मानिकपुर के पाठा में दस्यु मुक्त हवा बही। नतीजतन, खुली हवा में सांस लेकर लोकतंत्र भी चहक उठा। डकैतों के खात्मे को लेकर मतदाता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते नजर आए।
1980 से 2007 तक सबसे ज्यादा फरमान
पाठा में तीन दशक तक बादशाहत कायम रखने वाले दस्यु सरगना शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ, उसके करीबी राधे व बबुली कोल के साथ दूसरे गैंग रागिया, ठोकिया और बलखड़िया के जमाने तक फरमान खूब चले। 1980 से 2007 तक ददुआ के इशारे पर प्रधान से लेकर सांसद तक चुने गए। इसके बाद भी गुपचुप तौर पर लोग गांव के बाहर आकर फरमान बताते रहे। पहली बार न कोई फरमान आया और न चिट्ठी पहुंची।
दरवाजों पर लगीं चौपालें, राहों पर प्रत्याशी चर्चा
दस्यु प्रभावित रही पाठा की 110 ग्राम पंचायतों में सोमवार सुबह से लोकतंत्र हिम्मत बांधे दिखा। गांव-गांव दरवाजों पर चौपालें लगीं। महिलाएं व युवा प्रत्याशी पर चर्चा करते बूथों तक पहुंचे। मर्जी का जनप्रतिनिधि चुनने की उत्सुकता दिखी। गांव तक विकास पहुंचने की आस नजर आई। चेहरे और आंखें बोलीं, भले लोग सीधे बात करने में कतराते रहे। ई सरकार मां खतम भे डकैत, पनपैं मां देर नाहीं लागत
ग्राम पंचायत डोडामाफी के 90 वर्षीय रामजस वर्मा व 80 वर्षीय बसंत लाल विश्वकर्मा बोले- पहिली बार ई सरकार मां डकैत खतम भे हैं। अब इनका लइकै नजर न राखैं का जरूरत है। नहीं डकैत पनपैं मां देर नाहीं लागत है हियन बीहड़ मां।
मारत औ तरसावत दोनों रहै बबुली
डोडामाफी निवासी फूल कुमारी, गीता देवी, रन्नू देवी और सोसाइटी कोलान की निर्मला, जगदिशिया कोल, कमली व विनीता के चेहरों पर सुकून दिखा। 2012 में डोडामाफी के नरसंहार में पांच लोगों को कुल्हाड़ी से काटने की बात याद कर कहा कि बबुली मारत और तरसावत दोनों रहै। पहिले तड़पावत रहै फिर गोली मारकै जिदगी लेत रहै। अब खुली हवा चली है। सरकार यहै हाल बनाए रहै।
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पाठा पूरी तरह डकैत मुक्त हो चुका है। दस्यु प्रभावित इलाकों में अब कोई बागी बीहड़ में नहीं उतरने देने के लिए पुलिस तत्पर है।
-मनोज कुमार झा, एसपी चित्रकूट