निर्भया की बरसी पर महिलाओं की आंखें नम

देश की राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को दुनिया को झकझोर देने वाले निर्भया कांड को याद कर सभी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। निर्भया के जख्म इतने गहरे थे कि देश के दिल दिल्ली की टीस को पूरी दुनिया ने महसूस किया था।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 06:42 PM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 10:13 PM (IST)
निर्भया की बरसी पर महिलाओं की आंखें नम
निर्भया की बरसी पर महिलाओं की आंखें नम

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को दुनिया को झकझोर देने वाले निर्भया कांड को याद कर सभी के रोंगटे खड़े हो जाते। निर्भया के जख्म इतने गहरे थे कि देश के दिल दिल्ली की टीस को पूरी दुनिया ने महसूस किया था। इस कांड के छह वर्ष पूरे होने के बाद भी महिला की सुरक्षा का विषय जस का तस है। महिलाओं की मानें तो बेटियों के सशक्तिकरण की जिम्मेदारी परिवार की है और उनकी रक्षा का जिम्मा कानून के साथ-साथ हम सब का, लेकिन लगता है कि इस कोशिश में असफल हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है। रविवार को जागरण से बातचीत के दौरान महिलाओं ने विचार रखा।

पराहूपुर की अंजली ¨सह ने कहा कि निर्भया कांड को याद करने से सिहर जाती हैं। घटना के बाद ऐसा लग रहा था जैसे अब देश में महिलाएं सुरक्षित ही नहीं। द¨रदों ने द¨रदगी की हद कर दी थी। उस घटना के बाद से महिलाओं के साथ लगातार कई घटनाएं होती गईं। अब इनकी सुरक्षा को लेकर शासन प्रशासन को पहल करने की आवश्कता है।

शिखा तिवारी बोलीं उन्होंने टीवी व अखबारों में निर्भया कांड को देखा-सुना तो उनके पांव तले जमीन खिसक गई। इस कांड से देशवासियों की आंखों को नम कर दिया था। घटना के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। आए दिन महिलाओं के साथ अभद्रता व दुराचार की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसी घटनाओं में संलिप्त आरोपितों को कड़ी सजा देने का प्रावधान बनाना चाहिए।

कुढ़कला की निशा कुमारी कहती हैं निर्भया कांड ने कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया था। राजधानी में इस तरह की घटना होने अपने आप में शर्मसार है। बेटियों की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा नियम कानून बनाए जाते हैं लेकिन उस पर अमल ही नहीं होता है। शाम होने के बाद लड़कियां घरों से निकलने में डरती हैं। देश में ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे लड़कियां निडर होकर कहीं भी आ-जा सकें।

रविनगर की कंचन ¨सह ने कहा देश में आए दिन महिलाओं के साथ तमाम आपराधिक घटनाएं हो रही हैं, जिससे नारी की सुरक्षा और सम्मान आज समाज के लिए एक बहुत बड़ा सवाल है। अब महिलाओं को खुद आगे बढ़कर संघर्ष करना चाहिए क्योंकि महिलाओं का चुप रहना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है।

शास्त्री कालोनी निवासी लक्ष्मी जायसवाल कहती हैं दिल्ली की निर्भया कांड से एक बार ऐसा लगा कि अब तो महिलाओं की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। महिलाओं के साथ अत्याचार होने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। महिलाओं का अगर कोई उत्पीड़न कर रहा है, तो चुप न रहकर उन्हें उन्हें सबक सिखाएं।

पटेल नगर की बीनू ¨सह ने कहा महिलाओं के प्रति पुरुषों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है। आज के समय में भी महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है। बोली कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सभी को पहल करने की आवश्कता है।

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