बगैर भेदभाव के जीवन में होनी चाहिए उदारता

आदमी के जीवन में इतनी ऊंचाइयां रहनी चाहिए कि वह हर व्यक्ति के गुणों और धर्म का सम्मान कर सकेंद्य मनुष्य के जीवन में उदारता ऐसी होना चाहिए, जैसे दीपकों में भेद नहीं होता। कोई दीपक महंगा होता है कोई सस्ता होता है लेकिन ज्योति में कोई भेद नहीं होता। वह एक सी होती है द्य उदार होती है सभी के लिए एक समान उजाला देने वाली।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 05:50 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 05:50 PM (IST)
बगैर भेदभाव के जीवन में होनी चाहिए उदारता
बगैर भेदभाव के जीवन में होनी चाहिए उदारता

जासं,पीडीडीयू नगर(चंदौली) : आदमी के जीवन में इतनी ऊंचाइयां रहनी चाहिए कि वह हर व्यक्ति के गुणों और धर्म का सम्मान कर सके। मनुष्य के जीवन में उदारता ऐसी होना चाहिए, जैसे दीपकों में भेद नहीं होता। कोई दीपक महंगा होता है कोई सस्ता होता है लेकिन ज्योति में कोई भेद नहीं होता। उक्त बातें पटेल नगर स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा के दूसरे दिन वृंदावन से आए रामबिहारी शुक्ला ने कही।

गोकर्ण धुंधकारी की कथा का श्रवण कराते हुए कहा आत्मदेव नाम के ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी का नाम घुंघली था। वह बहुत कुटिल दुष्ट प्रवित्ति की थी। वे निराश होकर प्राण त्याग करने को गांव से बाहर निकल गए। एक महात्मा से मुलाकात पर आत्मदेव को एक फल दिया। कहा कि इसे अपनी पत्नी को खिला देना सुंदर बालक उत्पन्न होगा। पत्नी ने फल को गाय को खिला दिया। गौ से गोकर्ण की उत्पत्ति हुई। सुरेंद्रनाथ तिवारी, लल्लन ¨सह, मालती गुप्ता, वीरेंद्र शर्मा, मिथिलेश, संतोष तिवारी आदि उपस्थित थे।

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