कोरोना काल में नीम-हकीम से इलाज कराना खतरे से खाली नहीं
कोरोना काल में गांवों में अपनी दुकान चला रहे बिना डिग्रीधारी नीम-
जागरण संवाददाता, चंदौली : कोरोना काल में गांवों में अपनी दुकान चला रहे बिना डिग्रीधारी नीम-हकीमों से इलाज कराना खतरनाक साबित हो सकता है। पैसों के लालच में बिना जांच कराए ही मरीजों का इलाज शुरू कर सकते हैं। गलत दवा के सेवन से हालत और बिगड़ सकती है। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। सर्दी-जुकाम व बुखार समेत अन्य तरह की शिकायतें होने पर पहले तत्काल कोरोना की जांच कराएं। विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह से ही दवा का सेवन करें।
इन दिनों लोगों में सर्दी, जुकाम, बुखार के लक्षण अधिक हैं। गांवों में देखा जाए तो लगभग 70 फीसद घरों में इससे लोग परेशान हैं। ऐसे में कोविड की जांच कराने की बजाए लोग मेडिकल स्टोर संचालक अथवा नीम-हकीमों के पास पहुंच जा रहे हैं। वे भी कोरोना को अवसर की तरह भुनाने से पीछे नहीं है। मरीज की जांच कराए बगैर अपने अनुभव के आधार पर दवा-इलाज शुरू कर दे रहे। ऐसे में कई मरीजों की हालत और बिगड़ जा रही। जब सांस उखड़ने लगती है तो अस्पताल की ओर दौड़ रहे, तब तक स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी रहती है। विशेषज्ञों, चिकित्सकों के लिए भी ऐसे मरीजों का इलाज कर उन्हें ठीक करना चुनौती बन जाता है। ऐसे में लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना का कोई भी लक्षण होने पर बिना समय गंवाए जांच कराएं और किसी अच्छे चिकित्सक की सलाह लेकर ही दवा का सेवन करें।
गांवों में जांच की रफ्तार धीमी
संक्रमण की दूसरी लहर में सैंपलिग में तेजी आई है। हालांकि ग्रामीण इलाकों में इसकी रफ्तार काफी धीमी है। संदिग्ध मरीजों को चिह्नित करने की प्रक्रिया भी रफ्तार नहीं पकड़ पा रही। ऐसे में लोगों को मजबूरी में नीम-हकीमों की शरण लेनी पड़ रही। यदि गांवों में संदिग्ध मरीजों की सैंपलिग बढ़ा दी जाए तो काफी हद तक राहत मिल जाएगी।
वर्जन
स्वास्थ्यकर्मियों की टीम गांवों में संदिग्ध मरीजों की पहचान कर दवा का वितरण कर रही है। लोग कोरोना के लक्षण होने पर पहले जांच कराएं व विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह लेकर ही दवा का सेवन करें। घरेलू उपचार या अप्रशिक्षित लोगों की दवा से मरीजों की हालत और खराब हो सकती है। ऐसे में सावधानी जरूरी है।
डाक्टर वीपी द्विवेदी, सीएमओ