ले लिया काउ शेड बनवाने का हलफमाना, अब नहीं दे रहे अनुदान

मनरेगा के तहत होने वाले विकास कार्यों में अनियमितताएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। लाभार्थियों से काउ शेड निर्माण का हलफनामा तो ले लिया गया लेकिन उन्हे अनुदान नहीं दिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Dec 2021 05:30 PM (IST) Updated:Sat, 04 Dec 2021 05:30 PM (IST)
ले लिया काउ शेड बनवाने का हलफमाना, अब नहीं दे रहे अनुदान
ले लिया काउ शेड बनवाने का हलफमाना, अब नहीं दे रहे अनुदान

जागरण संवाददाता, चंदौली : मनरेगा के तहत होने वाले विकास कार्यों में अनियमितताएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। लाभार्थियों से काउ शेड निर्माण का हलफनामा तो ले लिया गया, लेकिन उन्हे अनुदान नहीं दिया गया। जिले में ऐसे 1242 लाभार्थी हैं। कई जगहों पर अधिकारियों-कर्मचारियों की ओर से काउ शेड के लिए मिलने वाले अनुदान में एक लाख तक हजम करने की शिकायत मिल रही है। लाभार्थियों को मात्र 30 हजार दिए जा रहे। धनराशि न मिलने की वजह से लाभार्थियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।

मनरेगा से गरीब पशुपालकों के लिए उनकी जमीन में काउ शेड का निर्माण कराया गया था। चारों तरफ से दीवार खड़ी कर ऊपर से शेड लगाया जाता है। एक दरवाजा रहता है। पशुओं को चारा खाने के लिए चरनी भी बनाई जाती है। इसकी लंबाई छह मीटर, चौड़ाई तीन मीटर व 2.6 मीटर ऊंचाई होती है। इसके लिए शासन प्रत्येक लाभार्थी को 1.30 लाख रुपये अनुदान दे रही है। लाभार्थियों को पहले अपने खर्च से काउ शेड बनवाने का निर्देश है। उन्हें बताया गया है कि बाद में उनके खाते में अनुदान का पैसा भेजा जाएगा। लाभार्थियों ने अपने पैसे से काउ शेड बनवा भी दिए। सचिवों ने उनसे काउ शेड का निर्माण पूरा कराने का हलफनामा भी ले लिया। हालांकि उनके खाते में अनुदान की राशि आज तक नहीं पहुंची। लाभार्थियों का आरोप है कि अधिकारी-कर्मचारी उन्हें सिर्फ 30 हजार रुपये पकड़ा रहे हैं। शेष एक लाख रुपये खुद हजम करने के चक्कर में पड़ गए हैं। यह स्थिति खासकर चकिया विकास खंड के गांवों में ज्यादा सामने आ रही है। मनरेगा की सोशल आडिट में इसको लेकर तमाम लोगों ने आरोप लगाए हैं। ' काउ शेड निर्माण योजना शासन की प्राथमिकता में शामिल है। इसको पारदर्शी तरीके से पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं। योजना में लापरवाही और लाभार्थियों को अनुदान भुगतान में हीलाहवाली गंभीर मामला है। इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

अजितेंद्र नारायण, सीडीओ

chat bot
आपका साथी