जिम्मेदारों की कुर्सी खाली, मातहतों की जवाबदेही पर सवाल

अजगर करे न चाकरी, पंक्षी करे न काज, दास मलूका कह गए सबके दाता राम..। यह उक्ति नगर स्थित संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सकों सहित कर्मचारियों पर सटीक बैठती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Nov 2018 07:15 PM (IST) Updated:Wed, 21 Nov 2018 11:32 PM (IST)
जिम्मेदारों की कुर्सी खाली, मातहतों की जवाबदेही पर सवाल
जिम्मेदारों की कुर्सी खाली, मातहतों की जवाबदेही पर सवाल

जासं, चकिया (चंदौली) : जब अफसर ही अपनी जिम्मेदारी का ठीक ढंग से निर्वहन नहीं करेंगे तो मातहतों की जवाबदेही कौन तय करेगा। बुधवार को नगर स्थित संयुक्त चिकित्सालय की अधिकतर खाली कुर्सियां व तीमारदारों का आक्रोश कुछ इसी तरह के नजारे का गवाह बना। जी हां, कहने को तो 100 सैय्या का चिकित्सालय है लेकिन अधिकांश चिकित्सक, कर्मचारी ड्यूटी के प्रति संजीदा नहीं हैं। बुधवार को जागरण के आफिस लाइव कार्यक्रम में कर्मचारियों की ओपीडी में उपस्थिति देखी गई तो अधिकांश कुर्सियों सुबह दस बजे तक खाली नजर आईं।

यूं तो संयुक्त चिकित्सालय का ओपीडी सुबह 8 से दोपहर 2 बजे का निर्धारित है। वारावफात के चलते आज ओपीडी 8 से 12 बजे तक रहा। लेकिन उसके बावजूद सुबह 10 बजे तक ओपीडी से अधिकांश चिकित्सक गायब रहे। ओपीडी में डा. अशोक ¨सह, डा. एके मिश्र, डा. पवन कश्यप मौजूद मिले। डा. आरबी ¨सह, डा. पूनम ¨सह समेत कई चिकित्सक ढूंढ़ने से भी नहीं मिले। इलाज कराने को पहुंची मीना, रामजतन, अमन कुमार, सुरभी, किरन इत्यादि ने बताया कि सरकारी आवास मिलने के बाद भी अधिकांश चिकित्सक दूसरे शहरों में रहते हैं। इसके चलते मरीजों को जलालत झेलनी पड़ती है। इमरजेंसी में डा. आरएन ¨सह यादव समेत फार्मासिस्ट नवीन कुमार शर्मा, अनिल कुमार शर्मा, वार्ड ब्वाय रमेश मुस्तैद नजर आए। पंजीकरण व दवा वितरण कक्ष में क्रमश बुल्लू सोनकर व मुर्तजा अली अपने कार्यो के प्रति सचेत दिखे। पैथालॉजी विभाग सुबह 10 बजे बंद मिला। कमोवेश यही स्थिति सीएमएस, बड़े बाबू समेत अन्य अधिकारियों के चैंबर की रही। तीमारदारों ने बेबाकी से कहा कि चिकित्सालय के जिम्मेदारों की कुर्सी खाली हो तो मातहतों की जवाबदेही कौन सुनिश्चित करेगा।

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