रासायनिक उर्वरक से खत्म हो रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति
जागरण संवाददाता इलिया (चंदौली) क्षेत्र के बरांव गांव में बायो फर्टिलाइजर कृभको की ओर से
जागरण संवाददाता, इलिया (चंदौली) : क्षेत्र के बरांव गांव में बायो फर्टिलाइजर कृभको की ओर से शनिवार को किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें तरल जैव रसायन की खेती के प्रयोग पर बल दिया गया।
किसानों को रासायनिक और जैविक खेत के लाभ और हानि की जानकारी दी गई। कहा वर्तमान में मिट्टी के पोषक तत्व खत्म होने के कगार पर है। आठ से दस तक किसानों ने रासायनिक उर्वरक का इसी तरह प्रयोग किया तो खेत बंजर हो जाएंगे। गोरखपुर के क्षेत्रीय मैनेजर डाक्टर ओके सिंह ने कहा किसान अपने खेतों में रासायनिक उर्वरक का प्रयोग कम से कम करें। खेत की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए जैविक खाद का प्रयोग अधिक से अधिक करें। रासायनिक खाद की आदत को धीरे धीरे छोड़ दें। एनपीके वन कास्टोनिया का प्रयोग करें। इससे खेती में रासायनिक खाद की लागत से 25 से 50 फीसद तक बचत होगी। भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और धीरे-धीरे रासायनिक खाद का प्रयोग भी समाप्त हो जाएगा। पैदावार में भी कमी नहीं आएगी और आत्मनिर्भरता बढ़ने के साथ आर्थिक लाभ भी मिलेगा।
कृषि विशेषज्ञ कपिलदेव सिंह ने कहा एनपीके वन कास्टोनिया के प्रयोग से एक एकड़ में 180 लागत आती है। इससे किसानों को लगभग डेढ़ हजार रुपये तक की प्रति एकड़ बचत होगी। साथ ही आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी। उन्होंने किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का भी जवाब दिया। वीके त्रिपाठी, एसएन पांडेय, आदर्श सिंह, रमेश चंद्र शुक्ला, अभय सिह, रवींद्र कुमार सिंह आदि किसान थे।