उपदेश- श्रेष्ठ वह है जो सब में श्रेष्ठता का दर्शन करता
श्रीराम कथा अमृत के समान है। परमार्थ की कथा सुनने से मनुष्य को आनंद व मोक्ष की प्राप्ति होगी। कथा जीवन जीने की कला सीखाती है। यह बातें कथा मर्मज्ञ नीरजानंद शास्त्री ने गुरुवार की देरशाम कही। वे सिकंदरपुर गांव के शिव मंदिर प्रांगण में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा की पहली निशा पर श्रद्धालु को कथा का रसपान करा रहे थे। यजमान ने पोथी पूजन के साथ कथा का शुभारंभ कराया।
जासं, चकिया (चंदौली) : श्रीराम कथा अमृत के समान है। परमार्थ की कथा सुनने से मनुष्य को आनंद व मोक्ष की प्राप्ति होगी। यह बातें कथा मर्मज्ञ नीरजानंद शास्त्री ने गुरुवार की देरशाम कही। वे सिकंदरपुर गांव के शिव मंदिर प्रांगण में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा की पहली निशा पर श्रद्धालुओं को कथा का रसपान करा रहे थे। यजमान ने पोथी पूजन के साथ कथा का शुभारंभ कराया।
कथा को गति प्रदान करते हुए कहा गंगा के समान श्रीराम में सारे कलुष मिट जाते हैं। श्रेष्ठ वह है जो सब में श्रेष्ठता का दर्शन करता। संत मनसा, वाचा, कर्मणा से परोपकारी होते हैं। संत बनने को किसी भी प्रकार के भेष भूषा की जरूरत नहीं। गृहस्थ आश्रम में रहते हुए भी व्यक्ति अपने कर्माें से संत की श्रेणी में आ जाता। कर्मों के आधार पर व्यक्ति के वर्तमान व भविष्य का निर्धारण होता है। संचित कर्मों के अनुसार जीव को सुख और दुख भोगने पड़ते हैं। संसार में कुछ भी अकारण नहीं है। स्वयं भगवान ने भी कर्म विधान व सृष्टि के नियमों का पालन करने के लिए त्रेतायुग में श्रीराम के रूप में अवतार लिया। भगवान राम को भी वन में भटकना पड़ा। भक्ति, विवेक, ज्ञान मार्ग पर चलने से जीवन आनंदमय हो जाता है। पूर्व प्रधान राजीव पाठक, शीतला प्रसाद केशरी, बृजेश मौर्य, प्रियम गुप्ता, राजेश विश्वकर्मा, विजय चौरसिया, संतोष मौर्य सहित कई श्रद्धालु उपस्थित थे।