अफसरों की टीम आरओबी निर्माण में देरी के कारणों की करेगी जांच
- अवधि पूरी होने के बावजूद सात रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण अधूरा - अधिकारियों की टीम विलंब
- अवधि पूरी होने के बावजूद सात रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण अधूरा
- अधिकारियों की टीम विलंब को लेकर हर पहलू की करेगी पड़ताल
- लापरवाही पर कार्यदायी संस्था के खिलाफ शासन को जाएगी रिपोर्ट जागरण संवाददाता, चंदौली : जिले में अधूरे पड़े सात रेलवे ओवरब्रिज के निर्माण में देरी के कारणों की जांच होगी। इसके लिए अधिकारियों की टीम गठित की जाएगी। विभिन्न विभागों के इंजीनियर इस कार्य में लगाए जाएंगे। जो गुणवत्ता समेत देरी के कारणों की विस्तृत जांच करेंगे। सत्यापन रिपोर्ट सीधे शासन को भेजी जाएगी। रेलवे क्रासिग पर आरओबी का निर्माण कार्य अवधि बीतने के बावजूद अभी तक पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में लापरवाह कार्यदाई संस्थाओं के खिलाफ शिकंजा कस गया है। मुख्यालय स्थित सकलडीहा रेलवे क्रासिग समेत जिले में सात स्थानों पर आरओबी का निर्माण कराया जा रहा है। अधिकांश की जिम्मेदारी सेतु निगम को सौंपी गई है। मुख्यालय स्थित आरओबी का निर्माण 2018 में शुरू हुआ था। इसको जनवरी 2019 तक बनाकर तैयार करना था। हालांकि अभी भी 40 फीसद काम अधूरा है। दोनों तरफ से पहुंच मार्ग और पुल तो बन गया, लेकिन रेलवे ट्रैक के ऊपर के हिस्से का निर्माण नहीं हो सका है। वहीं पुल की सड़क भी नहीं बन सकी है। कमोवेश यही स्थिति अन्य छह रेलवे ओवरब्रिजों की भी है। सभी की मियाद एक साल तय थी, लेकिन तीन साल की अवधि पूरी होने के बावजूद निर्माण नहीं पूरा हो सका। प्रभारी मंत्री रमाशंकर सिंह पटेल ने डीएम को निर्देशित किया कि निर्माण में देरी की जांच के लिए एक टीम गठित की जाए। इसमें इंजीनियर व तकनीकी सहायकों को शामिल करें। इसकी विस्तार से जांच कराई जाए कि आखिर किस कारण से निर्माण में इतना विलंब लगा। इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जाए। ऐसे में विकास कार्यों में लापरवाही बरतने वाली कार्यदाई संस्थाओं पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है। 'जिले में सात आरओबी का निर्माण अधूरा है। इसकी जांच के लिए टीम गठित की जाएगी, जो निर्माण में विलंब के कारणों की जांच करेगी। पूरी रिपोर्ट तैयार कराकर शासन को भेजी जाएगी। शासन के निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई होगी।
अजितेंद्र नारायण, सीडीओ