मानसून से पहले बांधों में पर्याप्त पानी, खरीफ सीजन में नहीं होगी दिक्कत
जागरण संवाददाता चंदौली चक्रवाती तूफान की वजह से मई और जून में हुई बारिश से जिले के विशालकाय मूसाखाड़ व चंद्रप्रभा बांध में पर्याप्त पानी भर गया है। बांधों का जलस्तर अधिकतम क्षमता से थोड़ा ही नीचे है। आने वाले दिनों में मानसूनी बारिश के बाद बांध पूरी तरह से भर जाएंगे। फिलहाल एलके मुख्य नहर के टूटे तटबंधों की मरम्मत कराई जा रही है। इसका काम पूरा होने के बाद एलके (लेफ्ट कर्मनाशा) व आरके (राइट कर्मनाशा) नहर का संचालन पूरी क्षमता से किया जाएगा। वहीं किसानों को धान की रोपाई से लेकर फसल के रेड़ा में पहुंचने की अवधि तक पानी मिलता रहेगा।
जागरण संवाददाता, चंदौली : चक्रवाती तूफान की वजह से मई और जून में हुई बारिश से जिले के विशालकाय मूसाखाड़ व चंद्रप्रभा बांध में पर्याप्त पानी भर गया है। बांधों का जलस्तर अधिकतम क्षमता से थोड़ा ही नीचे है। आने वाले दिनों में मानसूनी बारिश के बाद बांध पूरी तरह से भर जाएंगे। फिलहाल एलके मुख्य नहर के टूटे तटबंधों की मरम्मत कराई जा रही है। इसका काम पूरा होने के बाद एलके (लेफ्ट कर्मनाशा) व आरके (राइट कर्मनाशा) नहर का संचालन पूरी क्षमता से किया जाएगा। वहीं किसानों को धान की रोपाई से लेकर फसल के रेड़ा में पहुंचने की अवधि तक पानी मिलता रहेगा। कर्मनाशा व चंद्रप्रभा बांध से जनपद के साथ ही बिहार प्रांत के भभुआ जिले को भी पानी दिया जाता है। मूसाखाड़ बांध से निकली लेफ्ट कर्मनाशा नहर का कमांड एरिया कांटा साइफन तक है। इससे चकिया व शहाबगंज ब्लाक की लगभग 25 हजार हेक्टेयर भूमि सिचित होती है। हालांकि जरूरत पड़ने पर इसका पानी गंगा नहर के जरिए बरहनी तक भेजा जाता है। वहीं राइट कर्मनाशा नहर का पानी करइल इलाके के साथ बिहार भी जाता है। कर्मनाशा नदी पर बने मूसाखाड़ बांध की जलग्रहण क्षमता 355 फीट है। बारिश के बाद बांध का जलस्तर काफी ऊंचाई पर पहुंच गया है। यही स्थिति 26 लाख घन मीटर जल ग्रहण क्षमता वाले चंद्रप्रभा बांध की भी है। इसमें भी पर्याप्त पानी जुट गया है। ऐसे में सिचाई विभाग चाहे तो नहर को फूल गेज से संचालित कर सकता है। अभी मानसून की बारिश शेष है। माना जा रहा है कि मानसून की बारिश में बांध पूरी तरह से लबालब हो जाएंगे। किसानों को पानी के लिए दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। ----------------------------
नहर के तटबंधों की हो रही मरम्मत
सिचाई विभाग की ओर से नहर के तटबंधों की मरम्मत कराई जा रही है। कई जगहों पर छलका और माइनरों के गेट आदि दुरूस्त किए जा रहे हैं ताकि नहर में पानी छोड़े जाने के बाद तटबंध टूटने न पाए। मानसून सीजन में तटबंध टूटने से काफी परेशानी होती है। खेती के पीक सीजन में नहरों को बंद कर मरम्मत कराने में हफ्ते भर का समय लगता है। इससे किसानों को परेशानी झेलनी पड़ती है।
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वर्जन
कर्मनाशा व चंद्रप्रभा सिस्टम में पिछले दिनों हुई बारिश के कारण पानी का लेबल बढ़ा है। कर्मनाशा में 20 दिन तो चंद्रप्रभा में दस दिन सिचाई के लिए पानी एकत्र हो गया है। किसानों को सिचाई के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।
सर्वेश सिन्हा, अधिशासी अभियंता चंद्रप्रभा