उद्योग व मशरूम उत्पादन में पराली का होगा इस्तेमाल

जागरण संवाददाता चंदौली पराली का इस्तेमाल उद्योग व मशरूम उत्पादन में किया जाएगा। इसको लेकर

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 04:32 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 04:32 PM (IST)
उद्योग व मशरूम उत्पादन में पराली का होगा इस्तेमाल
उद्योग व मशरूम उत्पादन में पराली का होगा इस्तेमाल

जागरण संवाददाता, चंदौली : पराली का इस्तेमाल उद्योग व मशरूम उत्पादन में किया जाएगा। इसको लेकर कवायद शुरू हो गई है। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विशेषज्ञों ने बरहनी ब्लाक के अमड़ा गांव में गोष्ठी में किसानों को जागरूक किया। पराली को जलाने की बजाय सड़ाकर जैविक खाद बनाएं। वहीं दोना-पत्तल बनाने और मशरूम उत्पादन के लिए भी इसके इस्तेमाल के लिए विकल्प तलाशे जा रहे हैं। ताकि किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन में मुश्किल न झेलनी पड़े।

केविके प्रभारी डाक्टर एसपी सिंह ने कहा, खेत में फसल अवशेष जलाने से जहरीला धुआं निकलता है। इससे पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने की वजह से वातावरण में धुंध की मात्रा काफी बढ़ जाती है। यह जनजीवन के लिए खतरनाक है। ऐसे में पराली जलाना पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। पराली के कई इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसका उपयोग दोना-पत्तल बनाने समेत तमाम औद्योगिक कार्यों में किया जा सकता है। वहीं मशरूम उत्पादन में भी पराली कारगर बनेगी। किसान पराली को जलाने की बजाय खेत में सड़ाएंगे तो जैविक खाद तैयार होगी। इससे रासायनिक खाद का कम इस्तेमाल करना होगा और भरपूर उत्पादन मिलेगा। डाक्टर रितेश सिंह गंगवार ने कहा फसल अवशेष जलाना उचित नहीं है। बायो डी कंपोजर का इस्तेमाल कर पराली को सड़ाकर जैविक खाद बनाई जा सकती है। डाक्टर अभयदीप गौतम ने कहा कि विभिन्न यंत्रों का प्रयोग कर पराली को मिट्टी के साथ मिलाया जा सकता है। यह कुछ दिनों बाद जैविक खाद का रूप ले लेगी। डाक्टर दिनेश यादव ने सब्जियों के बागों के अवशेष प्रबंधन के बारे में लोगों को जानकारी दी। डाक्टर कृष्ण मुरारी पांडेय ने किसानों को मौसम के बारे में जानकारी दी। काला चावल कृषक समिति के अध्यक्ष शशिकांत राय ने किसानों को पराली न जलाने की शपथ दिलाई।

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