एसएसजी एप बताएगा गांवों में स्वच्छता अभियान की हकीकत

जागरण संवाददाता चंदौली स्वच्छता अभियान में लीपापोती करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर शिकंजा कस गया है। सरकार एसएसजी एप्लिकेशन (स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण) के जरिए गांवों में सफाई की हकीकत परखेगी। लोग मोबाइल में एप डाउनलोड कर अपना फीडबैक दे सकते हैं। ग्रामीणों की राय के आधार पर ही ग्राम पंचायतों को अंक दिए जाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 05:08 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 05:08 PM (IST)
एसएसजी एप बताएगा गांवों में स्वच्छता अभियान की हकीकत
एसएसजी एप बताएगा गांवों में स्वच्छता अभियान की हकीकत

जागरण संवाददाता, चंदौली : स्वच्छता अभियान में लीपापोती करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर शिकंजा कस गया है। सरकार एसएसजी एप्लिकेशन (स्वच्छता सर्वेक्षण ग्रामीण) के जरिए गांवों में सफाई की हकीकत परखेगी। लोग मोबाइल में एप डाउनलोड कर अपना फीडबैक दे सकते हैं। ग्रामीणों की राय के आधार पर ही ग्राम पंचायतों को अंक दिए जाएंगे। इससे लोगों को जहां अपनी बात शासन तक पहुंचाने का मौका मिलेगा। वहीं स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखों रुपये डकारने वाले प्रधान, सचिव व पंचायती राज विभाग के अधिकारी-कर्मचारी भी बेनकाब होंगे।

ग्रामीण व नगरीय इलाकों में स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन अभियान शुरू किया है। इसके लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं। गांवों में सफाईकर्मियों की नियुक्ति के साथ ही ग्राम पंचायतों के खाते में लाखों रुपये भेजे जाते हैं, लेकिन धनराशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है। इसका कोई सकारात्मक असर नहीं दिख रहा। गांवों में नियमित सफाई नहीं हो रही। वहीं कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था भी नहीं है। यहां तक कि शौचालय बनवाकर लोग इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे। ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच की परंपरा समाप्त नहीं हो रही। ऐसे में केंद्र सरकार ने अभियान की हकीकत परखने के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए शासन से एजेंसी नियुक्त की गई है। इस मुहिम में आमजन को सहभागी बनाया जाएगा। लोग मोबाइल में एप्लिकेशन अपने मोबाइल में अपलोड कर इस पर फीडबैक दे सकते हैं। इसके आधार पर ही एजेंसी ग्राम पंचायतों को नंबर देगी। जिन ग्राम पंचायतों का प्रदर्शन बेहतर होगा, उनके लिए तो चिता की कोई बात नहीं, लेकिन जहां स्थिति खराब होगी, उनकी जवाबदेही तय की जाएगी। ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों व ग्राम प्रधानों पर गाज भी गिर सकती है।

जिला ओडीएफ घोषित, फिर भी नहीं खत्म हो रही गंदगी

अतिपिछड़ा जिला दो साल पहले ही ओडीएफ (खुले में शौच मुक्त) घोषित हो चुका है। शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूरा होने के बाद ओडीएफ घोषित कर दिया गया। हालांकि हकीकत इससे जुदा है। गांवों में खुले में शौच की परंपरा समाप्त नहीं हो पा रही। चहुंओर गंदगी का बोलबाला है। इससे प्रशासन के ओडीएफ के दावे की पोल खुल रही है। ' केंद्र सरकार के निर्देश पर स्वच्छता सर्वेक्षण किया जा रहा है। लोग मोबाइल पर एप्लिकेशन अपलोड कर अपना फीडबैक दे सकते हैं। इससे हकीकत का पता चलेगा।

अजितेंद्र नारायण, सीडीओ

chat bot
आपका साथी