वर्कशाप का चक्कर काट रहीं रोडवेज की खटारा बसें

जनपद से संचालित रोडवेस की बसों से प्रतिमाह औसतन एक लाख लोग यात्रा करते हैं। मई और जून के महीने में यात्रियों का आंकड़ा सवा लाख को पार कर जाता है। वर्तमान में रोडवेज का सफर मुश्किल भरा हो गया है। खटारा बसें सड़कों पर कम मरम्मत को वर्कशाप का चक्कर अधिक काट रहीं। जिले को मिलीं 30 बसों में दो नीलाम हो चुकी हैं जबकि चार को दुरुस्त करने का काम चल रहा है। वहीं पांच बसें कई दिनों तक कानपुर वर्कशाप में धूल फांकने के बाद हाल ही में लौटी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 01:05 AM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 06:02 AM (IST)
वर्कशाप का चक्कर काट रहीं रोडवेज की खटारा बसें
वर्कशाप का चक्कर काट रहीं रोडवेज की खटारा बसें

जागरण संवाददाता, चंदौली : जनपद से संचालित रोडवेज की बसों से प्रतिमाह औसतन एक लाख लोग यात्रा करते हैं। मई और जून के महीने में यात्रियों का आंकड़ा सवा लाख को पार कर जाता है। वर्तमान में रोडवेज का सफर मुश्किल भरा हो गया है। खटारा बसें सड़कों पर कम मरम्मत को वर्कशाप का चक्कर अधिक काट रहीं। जिले को मिलीं 30 बसों में दो नीलाम हो चुकी हैं, जबकि चार को दुरुस्त करने का काम चल रहा है। वहीं पांच बसें कई दिनों तक कानपुर वर्कशाप में धूल फांकने के बाद हाल ही में लौटी हैं। बसों के नहीं चलने की स्थिति में महकमे के पास कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिससे यात्रियों को राहत प्रदान की जा सके। लोगों को विवश होकर दूसरे माध्यमों का सहारा लेना पड़ता है। रोडवेज पर निर्भर एक लाख से अधिक लोगों की यात्रा

सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय के मुताबिक नवंबर माह में एक लाख पांच हजार 518 लोगों ने जिले से संचालित 28 रोडवेज बसों से यात्रा की। यहां से गोरखपुर, लखनऊ, विध्याचल, वाराणसी, चकिया और धानापुर आदि सड़क मार्गों पर बसें दौड़ाई जा रही हैं। अप्रैल से जून माह तक रोडवेज बस यात्रियों की संख्या सवा लाख को भी पार कर जाती है, लेकिन महकमा अपने यात्रियों की सुविधाओं को लेकर फिक्रमंद नहीं है। बसों के खराब होने या नहीं चलने की स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई जाती। अधिकतर बसें काफी पुरानी हैं। तकनीकी खराबी के चलते आए दिन कुछ का संचालन रद्द करना पड़ता है। ऐसे में यात्रियों को मायूस होकर दूसरे माध्यमों को सहारा लेना पड़ता है।

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खटारा बसों से सफर मुश्किल

जिले से विभिन्न मार्गों पर चलाने को रोडवेज को 30 बसें उपलब्ध कराई गईं थीं। 10 लाख किमी से अधिक चलने के बाद निष्प्रयोज्य हो चुकीं दो बसों को नीलाम कर दिया गया। नई बसें विभाग को नहीं मिलीं। शेष बचीं 28 बसें भी काफी पुरानी हो चली हैं। यही वजह कि डिपो पर कम और वर्कशाप में अधिक खड़ी मिलती हैं। नई बसों की मांग की गई है लेकिन संबंधित विभाग का ध्यान इस समस्या की तरफ आकृष्ट नहीं हो रहा। इसका खामियाजा जनपदवासियों को भुगतना पड़ रहा है। यात्रा में मुश्किल आ रही है और इसका निदान भी नहीं हो रहा।

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वर्जन..

रोडवेज बसों के खराब होने की स्थिति में कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है। हाल के वर्षों में नई बसें नहीं मिली हैं। वाराणसी में आठ डिपो के लिए एकमात्र वर्कशाप है। काफी मशक्कत के बाद ही मरम्मत हो पाती है। उपलब्ध 28 बसों को पूरी क्षमता से चलाने का प्रयास किया जा रहा है।

जगदीश प्रसाद, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रोडवेज

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