अभिमान से बिगड़ता है मनुष्य का जीवन
रास काम लीला नहीं वरन काम पर विजय की लीला है। भगवान अभिमान से कोसों दूर रहते हैं। रास के दौरान गोपी व राधा जी को अभिमान हुआ तो भगवान अंर्तध्यान हो गए। इसका अर्थ यह हुआ कि अभिमान से मनुष्य का जीवन बिगड़ता है।
जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : भगवान अभिमान से कोसों दूर रहते हैं। रास के दौरान गोपी व राधा जी को अभिमान हुआ तो भगवान अंतरध्यान हो गए। इसका अर्थ यह हुआ कि अभिमान से मनुष्य का जीवन बिगड़ता है।
उक्त बातें पटेल नगर स्थित श्री सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में आयोजित भागवत कथा में वृंदावन से आए अर्जुन कृष्ण शास्त्री महाराज ने कहीं। कहा गिरीराज गोवर्धन को बाएं हाथ की कनिष्ठिका से उठाया। सात रात व सात दिन गोवर्धन पर्वत बाएं हाथ की कनिष्ठिका पर धारण किया। इंद्र का अभिमान दूर करने के लिए भगवान ने बृजवासियों को आपदा से बचाया। रासलीला में भगवान ने काम पर विजय प्राप्त करने के लिए रासलीला की, भगवान श्रीकृष्ण योगेश्वर हैं। बोले जो हर इंद्रियों से कृष्ण रस का पान करें उसका नाम गोपी है। जो प्रकृति को वस में रखता है, उसका नाम ईश्वर है। भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ रास विहार किया। भगवान मथुरा गए धनुष का भंजन किया और कंस का वध किया। पंडित सुरेंद्रनाथ तिवारी, संतोष तिवारी, सतीश तिवारी, रंजू यादव, सुराहू, मिथिलेश, लल्लन सिंह, वीरेंद्र शर्मा, मालती गुप्ता, आनंद तोदी आदि उपस्थित रहे।