बाबा की मजार पर चादरपोशी कर मांगी दुआएं
जागरण संवाददाता चकिया (चंदौली) कौमी एकता के प्रतीक बाबा लतीफशाह की दरगाह पर रविवार
जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : कौमी एकता के प्रतीक बाबा लतीफशाह की दरगाह पर रविवार को तीन दिवसीय मेले का दूसरा दिन था। मेले में रौनक बनी रही, दूर-दूर से आए लोगों ने मजार पर चादरपोशी की और दुआएं मांगी। हालांकि कोरोना के मद्देनजर नगर स्थित उप जिलाधिकारी आवास परिसर में होने वाली कजरी प्रतियोगिता का आयोजन नहीं हो सका।
कोरोना संक्रमण के भय से सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा टूटने की आशंका जताई जा रही थी। पर जायरीनों की भीड़ ने परम्परा को जीवंत बनाए रखा। लोगों ने लतीफशाह बाबा, सैय्यद शाह व बाबा बनवारी दास के आस्ताने में पहुंचकर पूरी आस्था व विश्वास के साथ मत्था टेका। मेले में नगर सहित जनपद के अलावा वाराणसी व समीपवर्ती बिहार प्रांत के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। फुटपाथ पर चलती फिरती चाट, पकौडी़, जलेबी सहित सौंदर्य प्रसाधन के दुकान लगीं लेकिन पूर्व के वर्षों की अपेक्षा कम थीं। इन चलती फिरती दुकानों पर ग्राहकों की संख्या भी कम रही। दुकानदारों के चहरे पर कोरोना के चलते मायूसी छायी रही।
प्रसाद के रूप में चढ़ाया मलीदा
मेले में मुर्ग मुसल्लम बनाने वाले लतीफशाह बीयर तट के आस पास, पहाड़ियों के शिखर तक पहुंच गए थे। उपली पर बाटी बनाने के साथ ही लकड़ी के सहारे मुर्ग मुसल्लम, मलीदा बनाकर प्रसाद स्वरूप बाबा को चढाया और नात रिश्वतेदारों के साथ रसास्वादन किया। मेला प्रेमियों ने की जल क्रीड़ा
बीयर तट के नीचे झरने की तरह गिरते पानी के नीचे जान जोखिम में डालकर जल क्रीड़ा करने से लोगों ने गुरेज नहीं किया। बड़ी संख्या में युवा वर्ग फिसलन व काई होने के बावजूद झरने की तरह गिरते जल के नीचे घंटों शरीर को तर करते रहे।