अनाथ बच्चों को आर्थिक ही नहीं, मानसिक संबल की भी जरूरत
जागरण संवाददाता चंदौली कोरोना संक्रमण की वजह से अभिभावकों को खोने वाले बच्चों को आर्थिक
जागरण संवाददाता, चंदौली : कोरोना संक्रमण की वजह से अभिभावकों को खोने वाले बच्चों को आर्थिक ही नहीं बल्कि मानसिक संबल की भी जरूरत है। समाज से यदि बच्चों को अपनापन मिलेगा, तो उनमें पीड़ा को सहने और जिदंगी का मुकाबला करने का साहस बढ़ेगा। हालांकि जिले में स्थिति काफी खराब है। एक भी स्वयंसेवी संस्था बच्चों की मदद के लिए आगे नहीं आई। वहीं जनप्रतिनिधियों ने भी मुंह मोड़ लिया है। ऐसे में स्वजनों के साथ रह रहे बच्चों के लिए एक मात्र सरकारी मदद का ही सहारा है। जिले में 56 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने कोरोना संक्रमण की वजह से माता-पिता में से किसी एक को खो दिया। बच्चे फिलहाल एकल अभिभावकों के सहारे रह रहे हैं। केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने सोनभद्र के अनाथ बच्चों के लिए पहल की। उन्होंने कोरोना संक्रमण की वजह से अनाथ हुए बच्चों को आर्थिक मदद प्रदान की थी। हालांकि अन्य जिलों में इस तरह की पहल नहीं हो रही। न कोई स्वयंसेवी संस्था अनाथ बच्चों की मदद के लिए आगे आई और न ही जनप्रतिनिधियों की इसमें दिलचस्पी दिख रही है। जिले के किसी भी विधायक ने एकल अभिभावकों वाले बच्चों की मदद के लिए अपने स्तर से कोई पहल नहीं की। हालांकि सरकारी योजना का लाभ दिलाने का वादा जरूर करते हैं।
बोले जनप्रतिनिधि : सरकार कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना संचालित कर रही है। विभागीय अधिकारियों से योजना की प्रगति के बारे में जानकारी ली जाती है। बेसहारा बच्चों की मदद के लिए सदैव तत्पर हूं।
साधना सिंह, विधायक, मुगलसराय
कोरोना काल में अपनों को खोने वाले बच्चों के प्रति मेरी संवेदना है। शासन स्तर से संचालित योजना के क्रियान्वयन के बारे में अधिकारियों से जानकारी लूंगा। प्रयास करूंगा कि कोई भी अनाथ बच्चा किसी सुविधा से वंचित न रहने पाए। अपने स्तर से उनकी परवरिश को भरपूर प्रयास किया जाएगा।
सुशील सिंह, विधायक, सैयदराजा
कोरोना की वजह से कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया। उनकी सही परवरिश और देखरेख के लिए सरकार ने पहल की है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे बच्चों को योजना का लाभ मिले। अपने स्तर से भी मदद करूंगा।
शारदा प्रसाद, विधायक, चकिया