अफसर टीबी रोगी बच्चों के बने मददगार, गोद लेकर करा रहे उपचार
चंदौली अफसर टीबी रोगी बच्चों के मददगार बन गए हैं। उन्हें गोद लेकर उपचार कराने के साथ उनके पौष्टिक खान-पान पर भी ध्यान दे रहे। खंड विकास अधिकारी व अन्य अफसर ऐसे बच्चों को गोद लेकर उनका उपचार करा रहे हैं।
जागरण संवाददाता, चंदौली : अफसर टीबी रोगी बच्चों के मददगार बन गए हैं। उन्हें गोद लेकर उपचार कराने के साथ उनके पौष्टिक खान-पान पर भी ध्यान दे रहे। खंड विकास अधिकारी व अन्य अफसर ऐसे बच्चों को गोद लेकर उनका उपचार करा रहे हैं। कई बच्चे उनकी इस पहल से खतरनाक बीमारी से मुक्त होने के कगार पर हैं। अफसरों की इस पहल की न सिर्फ प्रभावित परिवार वाले, बल्कि अन्य लोग भी तारीफ कर रहे। इससे गरीब परिवार के टीबी प्रभावित बच्चों के लिए इलाज कराना काफी आसान हो गया है।
टीबी के खिलाफ अभियान में खंड विकास अधिकारियों ने पहल की है। जिले में टीबी की बीमारी से जूझ रहे गरीब परिवारों के 119 बच्चों को गोद लिया गया। दरअसल, टीबी इलाज की मुफ्त व्यवस्था है। चिह्नित मरीजों को मुफ्त दवा के साथ ही प्रति माह 500 रुपये सहायता राशि प्रदान की जाती है, लेकिन बेहतर खान-पान व पोषक आहार जुटाने के लिए महंगाई के इस दौर में यह धनराशि काफी कम है। ऐसे में दवा-उपचार के बावजूद बीमारी ठीक होने में समय अधिक लगता था। देश को टीबी मुक्त बनाने और गरीबों की मदद का बीड़ा जिले के अधिकारियों ने उठाया है। खंड विकास अधिकारियों ने अपने-अपने ब्लाकों में टीबी रोग की चपेट में आए गरीब बच्चों को गोद लिया। उनका उपचार कराने के साथ ही उन्हें दलिया, चना, सोयाबीन और बोर्नविटा समेत पौष्टिक आहार लगातार भेज रहे हैं। बेहतर खान-पान व उपचार की बदौलत बच्चों की सेहत सुधर रही है।
कुपोषित बच्चों में अधिक खतरा
जिला क्षय रोग अधिकारी डाक्टर डीएन मिश्र ने बताया कि यदि बच्चा कुपोषित है तो टीबी का खतरा अधिक रहता है। जिले में 18 साल से कम आयु के इस तरह के 119 बच्चे हैं, जो टीबी की बीमारी से ग्रसित हैं। इसमें अधिकांश कुपोषित हैं। अफसर व सुविधा संपन्न लोग गोद लेकर उनका इलाज करा रहे हैं। इससे कई बच्चों का स्वास्थ्य धीरे-धीरे सुधर रहा है। सरकार की ओर से मरीजों के खाते में पौष्टिक आहार के लिए हर माह 500 रुपये भेजे जाते हैं।
बच्चों को उपलब्ध करा रहे अंडा, दूध व फल
बीडीओ सुचिता सिंह ने बताया कि टीबी की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे बच्चों को उपचार के साथ ही पौष्टिक आहार, अंडा, दूध व फल आदि उपलब्ध कराया जा रहा है। इसको लेकर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।