अब गोशाला संचालित कर स्वावलंबी बनेगी आधी आबादी

जागरण संवाददाता वनगावां (चंदौली) ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उनको

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Feb 2021 11:06 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2021 11:06 PM (IST)
अब गोशाला संचालित कर स्वावलंबी बनेगी आधी आबादी
अब गोशाला संचालित कर स्वावलंबी बनेगी आधी आबादी

जागरण संवाददाता, वनगावां (चंदौली) : ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़कर उनको आर्थिक रूप से सबल एवं स्वावलंबी बनाने के लिए ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह संचालित किए जा रहे हैं। इससे महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव भी आया है। अब इनको अधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। कई कार्यक्रमों से जोड़ने के बाद अब इनसे गोशाला संचालित कराने की योजना है। इससे समूह समृद्ध होगा और पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही गोबर से बनाए जाने वाले उत्पाद भी तैयार हो सकेंगे। खास यह कि मनरेगा योजना से गोपालन के लिए समूह की महिलाओं को गोशाला देने की व्यवस्था की गई है।

यूं तो आधी आबादी को सशक्त बनाने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है। इसके लिए मिशन शक्ति संचालित किया गया है। हालांकि पहले से ही महिलाओं के उत्थान की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। उनको खर्च के लिए परिवार के मुखिया के ही आश्रित रहना पड़ता है। बहुत से ऐसे परिवार हैं जो गरीबी की वजह से अपना स्तर नहीं सुधार पाते हैं। इसके ²ष्टिगत स्वयं सहायता समूहों का संचालन किया गया, ताकि महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होकर अपने घर परिवार की आजीविका को बेहतर ढंग से संचालित कर सकें। जिले में करीब 8002 स्वयं सहायता समूह गठित हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर समूहों का सफल संचालन कर रहे हैं। अब समूह की महिलाओं को गोशाला संचालन से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। साथ ही स्वयं सेवी संस्था संचालित करने वाली महिलाओं को गाय लेने के लिए भी भूमिका तैयार की गई है।

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गोशालाओं का गोबर उत्पाद बनाने के आएगा काम

जिले में कई स्वयं सहायता समूह व संस्थाएं गाय के गोबर से दीए, मूर्तियां, गमले आदि बनाने का काम करती हैं। इससे उनको लाभ भी मिला है। गोशालाओं का गोबर इन कामगार महिलाओं को दिया जाएगा जिससे आर्थिक लाभ होगा। साथ ही गोबर से बने उत्पादों को बढ़ावा भी मिलेगा।

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गाय का दूध, घी भी बेच सकेंगी महिलाएं

गोशालाओं में जो भी दूध होगा उससे महिलाएं आर्थिक लाभ ले सकती हैं। दूध से कई प्रकार के खाद्य पदार्थ बनाकर बिक्री करने का रास्ता भी तैयार होगा।

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'' महिलाओं को सबल व आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की पहल की जा रही है। अब उन्हें गोशाला संचालन के लिए प्रेरित किया जाएगा। मनरेगा योजना से गोशाला निर्माण कराने की योजना है।

धर्मजीत सिंह, उपायुक्त श्रम रोजगार

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