शादियों पर रोक न छूट, आपका का रिस्क व पुलिस की मर्जी
जागरण संवाददाता चंदौली कोरोना काल में शादी के सात फेरों पर ग्रहण लगा है। इसको लेकर
जागरण संवाददाता, चंदौली : कोरोना काल में शादी के सात फेरों पर ग्रहण लगा है। इसको लेकर न तो शासन की गाइडलाइन स्पष्ट है और न ही स्थानीय स्तर पर प्रशासन कोई कवायद कर रहा है। यदि शादी-विवाह अथवा सार्वजनिक आयोजन हुआ तो सारा रिस्क मेजबान का। इसके लिए पुलिस की मर्जी जानना जरूरी है। खाकी की मर्जी के बगैर शादी की तो रुकावट आ सकती है। भले ही आयोजक कोविड प्रोटोकाल के पालन की बात कहते हों लेकिन आयोजनों में इसकी धज्जियां उड़ रही हैं। शारीरिक दूरी से अन्य मानक ताख पर रखकर आयोजन हो रहे हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा बरकरार है। गत वर्ष कोरोना लाकडाउन लागू हुआ था तो शादी-विवाह समेत सार्वजनिक आयोजनों के लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी की गई थी। इसका प्रशासन ने बखूबी पालन भी कराया। लोगों को घरों, मंदिरों में शादी की अनुमति दी गई। वहीं ऐसे में आयोजनों पर प्रशासन की नजर रही। इस बार स्थिति स्पष्ट नहीं है। प्रदेश में फिलहाल 17 मई तक लाकडाउन लागू किया गया है। इसमें आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी कार्यक्रमों पर पाबंदी लगा दी गई है। जबकि शासनादेश के अनुसार खुले स्थान पर क्षमता के सापेक्ष 50 फीसद अथवा अधिकतम 100 लोग। बंद स्थान अथवा हाल में अधिकतम 50 लोगों की उपस्थिति का निर्देश है। ऐसे में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वैसे कोरोना की दूसरी लहर में हालात ऐसे हैं कि सार्वजनिक आयोजन न किए जाएं। सरकार ने भी लोगों से यही अपेक्षा की है। हालांकि कई परिवार ऐसे हैं, जहां शादियां पहले से तय हो चुकी हैं। इसे अब टालना संभव नहीं है। ऐसे में सीमित दायरे में आयोजन किए जा रहे हैं। हालांकि इस दौरान कोविड प्रोटोकाल का पालन नहीं हो पा रहा है। भले ही आयोजक दावा करते हों कि सभी तरह के एहतियात बरते जाएंगे लेकिन सच्चाई यह है कि भीड़ बढ़ने पर लोग बेपरवाह हो जा रहे। एक-दूसरे से सटकर खड़े हो रहे। वहीं मास्क, सैनिटाइजर आदि की व्यवस्था भी मुकम्मल नहीं होती है। ऐसे में संक्रमण का खतरा बना हुआ है। यदि कहीं सूचना मिलने पर पुलिस पहुंच गई तो मानक के अनुरूप आयोजन मजबूरी होगी, वरना इसको लेकर अधिकारी बेपरवाह बने हैं। सीडीओ अजितेंद्र नारायण कहते हैं कि ऐसे आयोजनों पर कोविड गाइड लाइन का स्वत: अनुपालन करना चाहिए। लापरवाही किसी के लिए ठीक नहीं है।