अस्पतालों में दवाएं नहीं, कैसे हो बेहतर इलाज

जागरण संवाददाता चंदौली सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाओं का टोटा है। जनऔषधि केंद्रों

By JagranEdited By: Publish:Thu, 04 Mar 2021 05:58 PM (IST) Updated:Thu, 04 Mar 2021 11:32 PM (IST)
अस्पतालों में दवाएं नहीं, कैसे हो बेहतर इलाज
अस्पतालों में दवाएं नहीं, कैसे हो बेहतर इलाज

जागरण संवाददाता, चंदौली : सरकारी अस्पतालों में जेनरिक दवाओं का टोटा है। जनऔषधि केंद्रों में भी जीवनरक्षक दवा नहीं हैं। इससे इलाज महंगा हो गया है। मरीजों व तीमारदारों को मजबूरन निजी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ रही हैं। चिकित्सकों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पतालों में इसको लेकर आए दिन हंगामा हो रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है। इससे परेशानी हो रही है।

लोगों को सस्ते इलाज की सुविधा मुहैया कराने के लिए अस्पतालों में जनऔषधि केंद्र खोले गए हैं। वहीं दवा स्टोर संचालित किए जा रहे हैं। यहां अस्पताल में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को सस्ते दाम पर दवा मिलती है। हालांकि अस्पतालों के दवा स्टोर व जनऔषधि केंद्रों में हृदय रोग, रक्तचाप, मधुमेह, आपरेशन से संबंधित जीवनरक्षक दवा का टोटा है। इसके अलावा एंटीबायोटिक व जेनरिक दवा भी नहीं हैं। अस्पताल के चिकित्सक रोग के हिसाब से दवा लिख देते हैं लेकिन मरीजों व उनके तीमारदारों को निजी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ती है। इससे इलाज महंगा हो गया है। इसको लेकर पिछले दिनों जिला अस्पताल में मरीजों के तीमारदारों ने हंगामा भी किया था। हालांकि अस्पताल प्रशासन दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में नाकाम साबित हो रहा है।

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कोरोना काल में लड़खड़ाई आपूर्ति

कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। दवा की आपूर्ति पर भी इसका असर पड़ा। अस्पताल प्रशासन की ओर से डिमांड शासन से नामित दवा कंपनी को भेजी जाती है लेकिन आपूर्ति में विलंब होता है। इससे दवा का टोटा दूर नहीं हो रहा है।

अस्पताल में दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसको लेकर डिमांड भेजी गई है। जरूरत पड़ने पर स्थानीय स्तर पर भी दवा की खरीद की जा रही है। कोशिश की जाती है कि मरीजों व तीमारदारों को किसी तरह की परेशानी न होने पाए।

डॉ. भूपेंद्र द्विवेदी, सीएमएस

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