शरद पूर्णिमा की रात आकाश से होती है अमृत वर्षा
सकलडीहा (चंदौली) शरद पूर्णिमा बुधवार को है। इस दिन आकाश से अमृत वर्षा होती है।
जागरण संवाददाता, सकलडीहा (चंदौली) : शरद पूर्णिमा बुधवार को है। इस दिन आकाश से अमृत वर्षा होती है। इसीलिए खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखी जाती है। ताकि उसमें अमृत कण समाहित हो। इसके सेवन से स्वास, कफ व वायु विकार जैसे दोष से मुक्ति मिलती है। कालेश्वर महादेव मंदिर से जुड़े आचार्य राम निवास पाठक ने बताया कि हालांकि यह अमृत वर्षा पूरे एक माह तक होती है। लेकिन इसका कुछ विशेष दिनों में ही महत्व है।
अष्ठम नवमी से लेकर पूर्णिमा तक। दिन में सूर्य की रोशनी जब आंवले के वृक्ष पर पड़ती है तो अमृत की वर्षा होती है। वहीं रात्रि में जब चंद्रमा की रोशनी आंवले के वृक्ष पर पड़ती है तब अमृत वर्षा होती है। इसलिए अक्षय नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से यश व कीर्ति में वृद्धि होती है। लोग आंवले के पेड़ के नीचे पलाश या केले के पत्ते पर भोजन करते हैं। क्योंकि इनमें स्वर्ण व चांदी का अंश होता है। इस समयावधि में इसका पालन करने से आयु व यश-कीर्ति में वृद्धि होती है।