पुरुष को भी नारी का करना चाहिए सम्मान
कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब हम उसका अनुकरण करें
जागरण संवाददाता बरहनी (चंदौली) : कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होगी, जब हम उसका अनुकरण करेंगे। स्त्री को बिना किसी वजह के हंसना नहीं चाहिए। क्योंकि स्त्री लक्ष्मी का रूप होती है। शास्त्र में कहा गया है कि स्त्री को धैर्यवान व गंभीर होना चाहिए। उनका आचरण लक्ष्मी के समान होना चाहिए। गृहस्थ जीवन में स्त्री अपने कुटुंब के सभी व्यक्तियों का ख्याल रखती है। चाहे वह पुत्र हो पति हो या माता-पिता हो ऐसी स्त्री घर को स्वर्ग बना देती है। पुरुष को भी नारी का सम्मान करना चाहिए।
उक्त बातें चिरईगांव में चल रहे चतुर्मास यज्ञ के दौरान बुधवार को सुंदरराज महाराज ने कहीं। कहा कि परिवार में विषमता को समाप्त करने वाली स्त्री बनना चाहिए, न कि पूतना जैसी। स्त्री जब धर्म के अनुसार कार्य करती है तो उस घर से दरिद्रता समाप्त हो जाती है। लक्ष्मी स्वरूप स्त्री का पुत्र भी धर्म के मार्ग पर चलने वाला होता है। मृत्युंजय सिंह, उमा पांडेय, सरोज, अल्का सिंह, सोनाली पांडेय, आत्म प्रकाश, रामसेवक सिंह आदि श्रद्धालु उपस्थित थे।