यूपी- बिहार सीमा पर गैंग सक्रिय, पशु तस्करी पर अंकुश नहीं
जागरण संवाददाता चंदौली जिले में पशुतस्करी के कई गैंग सक्रिय हैं। नक्सल इलाके में इनका
जागरण संवाददाता, चंदौली : जिले में पशुतस्करी के कई गैंग सक्रिय हैं। नक्सल इलाके में इनका बोलबाला है। दरअसल, सरगना यूपी-बिहार प्रांत की सीमा से व्यापक पैमाने पर तस्करी का धंधा करवाते हैं। इकहरा बदन वाला दुबला-पतला सरगना तस्करी के लिए संगीन वारदात को अंजाम दे चुका है। बिहार सीमा से चंद कदम की दूरी पर ठिकाना बनाए इस गैंग तक आखिर पुलिस किन कारणों से नहीं पहुंच पा रही है। स्थानीय पुलिस से दोस्ताना रिश्ते को भी इंकार नहीं किया जा सकता। सीमा पर गैंग के सदस्य शाम ढलने के साथ सक्रिय हो जाते हैं। यहां से रोजाना गोवध की आधा दर्जन भारी तो दर्जनों छोटी गाड़ियां चकिया व नौगढ़ सर्किल क्षेत्र से बिहार प्रांत को जाती हैं। तस्करी के पूरे सिस्टम का कंट्रोल सरगना के हाथ में होता। मसलन वाहन, पशु, चालक, हेल्पर से लगायत पुलिस डील तक। - अंतरजनपदीय सीमा पर सहयोगी गैंग
मीरजापुर-चंदौली सीमा पर इसी गैंग का सहयोगी गैंग भी चलता है। इसकी जिम्मेदारी तस्करी की गाड़ियों को पास कराने की है। वैसे तो इस गैंग का सरदार फिलहाल जेल में है लेकिन उसके शागिर्द अंतरजनपदीय सीमा पर मोर्चा संभाले हैं। इलाकाई पुलिस भी इन गिरोहों के आगे मानों नतमस्तक है। हो भी क्यों नहीं, तस्करों ने पांच साल पूर्व मीरजापुर जिले के अहरौरा में जांच कर रही टीम को कुचल दिया था। हादसे में कांस्टेबल की मौत हो गई थी। शहाबगंज के लालपुर में पुलिस जीप को टक्कर मार दी थी जिससे तत्कालीन एसओ विजय कुमार चौरसिया समेत हमराह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इलिया के पतेरी मोड़ व बनरसिया पुलिया के पास हाल ही में तस्करों ने एसओ मिथिलेश तिवारी व उनके हमराहियों को कुचलने का प्रयास किया था। लेकिन, सतर्कता से पुलिसकर्मियों बाल-बाल बच गए थे। युवा को दी जाती वाहन चलाने की ट्रेनिग
तस्करी के लिए युवाओं को वाहन चलाने की ट्रेनिग दी जाती है। इसका सरगना खुद अनुभवी चालक है। उसने परिवार के कुछ लोगों को भी ड्राइविग सिखा दी। एक जनवरी 2019 को मालदह में हादसा को कारित करने वाली डीसीएम की रफ्तार 100 के पार थी। गाड़ी गड्ढे में फंसी न होती तो तस्कर वाहन को लेकर बिहार प्रांत भाग निकलते। थानों पर लंबे समय से जमे कई पुलिसकर्मी
तस्करी के मामले में पुलिस की छवि धूमिल करने के आरोप में अब तक तीन इंस्पेक्टर, एसआइ समेत दर्जनों पुलिस वालों पर गाज गिरी चुकी है। बावजूद इसके यूपी-बिहार सीमा के थानों में कई एसआइ व पुलिसकर्मी लंबे अरसे से जमे हैं। शहाबगंज थाने में तैनात एक हेड कांस्टेबल सीमावर्ती सभी थानों पर रह चुका है। यहां रहते हुए उस पर पकड़े मवेशियों को तस्करों को बेच दिए जाने के गंभीर आरोप भी लगे हैं। शहाबगंज, चकिया व नौगढ़ थाने में ऐसे ही कई एसआइ व पुलिसकर्मी हैं। तस्करी में जिम्मेदारों के कृपा पात्र कारखासों की भूमिका भी संदिग्ध रहती है। लोगों का कहना है कि पुलिस की गतिविधियों की जानकारी वह तस्करों को देते हैं। सफेदपोशों से उनका मेलजोल होने के कारण कार्रवाई नहीं हो पाती।