किसानों में बांटने के लिए आया जिप्सम हुआ खराब

किसानों के जागरूकता का अभाव कहें या फिर विभागीय लापरवाही। ब्लाक मुख्यालय पर गत वर्ष आया हजारों रुपए का जिप्सम बेकार हो गया। मिट्टी के ठूहे सामान खुले आसमान नीचे पड़े जिप्सम के प्रति महकमा बेखबर है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Jul 2020 07:11 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 07:11 PM (IST)
किसानों में बांटने के लिए आया जिप्सम हुआ खराब
किसानों में बांटने के लिए आया जिप्सम हुआ खराब

जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : किसानों में जागरूकता का अभाव कहें या फिर विभागीय लापरवाही। ब्लाक मुख्यालय पर गत वर्ष आया हजारों रुपये का जिप्सम बेकार हो गया। मिट्टी के ढूहे सामान खुले आसमान के नीचे पड़े जिप्सम के प्रति महकमा बेखबर है।

कृषि विभाग ने छह वर्ष पूर्व क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में मिट्टी की जांच कर जिप्सम की कमी पाई थी। स्थानीय राजकीय कृषि भंडार केंद्र पर चार वर्ष पूर्व जिप्सम की खेप पहुंची। कृषि भंडार केंद्र के पास गोदाम नहीं होने के चलते खुले आसमान के नीचे सैकड़ों बोरी जिप्सम रख दिया गया। योजना के तहत किसानों को जिप्सम की खरीद पर अनुदान दिए जाने की व्यवस्था सुनिश्चित थी। विभाग के मुताबिक 50 किग्रा की बोरी का मूल्य 50 रुपये निर्धारित किया गया था। लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते मिट्टी का प्रमुख तत्व जिप्सम बेकार हो गया। किसानों का कहना कि विभाग ने मिट्टी के प्रमुख तत्व की उपलब्धता सुनिश्चित होने की जानकारी समय से नहीं दी गई। खुले आसमान के नीचे पड़े बोरे बरसात व धूप नहीं झेल पाए। नतीजा बोरे सड़ गल गए। वर्तमान में केंद्र परिसर में पड़ा जिप्सम मिट्टी के ढूहे के समान पड़ा है। केंद्र प्रभारी श्याम लाल चौहान ने कहा कि विभाग ने जिप्सम की खेप भेज दी। नुकसान की भरपाई जेब से करना पड़ा।

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