गृहस्थ आश्रम खोल देता है मुक्ति का द्वार
जागरण संवाददाता बरहनी (चंदौली) चिरईगांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सुंदर राज महार
जागरण संवाददाता, बरहनी (चंदौली) : चिरईगांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में सुंदर राज महाराज ने कहा गृहस्थ आश्रम में रहते हुए संयमित पूजा पाठ व भगवत भजन करने से मुक्ति मिल जाती है। चारों आश्रम में सबसे उत्तम आश्रम गृहस्थ आश्रम है। हिन्दू धर्म में बह्मचर्य, सन्यास, वानप्रस्थ व गृहस्थ चार आश्रम हैं। इसमें सबसे उत्तम आश्रम गृहस्थ आश्रम माना गया है।
गृहस्थ आश्रम में रहते हुए मुक्ति का द्वार मिल सकता है। इसमें परिवार के भरण पोषण के साथ ही आसपास रहने वाले जीव जंतुओं के खानपान व संरक्षा पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा आने वाले अतिथियों के स्वागत में किसी प्रकार की कमी नहीं रहनी चाहिए। कहा गृहस्थ आश्रम में मां बाप को सम्मान देते हुए सेवा सत्कार करना चाहिए। बच्चों में अच्छे संस्कार के साथ ही परिवार व समाज के हित की शिक्षा देनी चाहिए। ताकि बच्चे संस्कारवान बनें। कहा आजकल गृहस्थ आश्रम में मांस मदिरा का सेवन करने से कलह व पाप बढ़ गया है। इससे समाज में विघटन की स्थिति बन गई है। परिवार में भेदभाव व संपत्ति के लिए मारपीट व खून खराबा हो रहा है। इसलिए गृहस्थ आश्रम का पालन करना सर्वदा हितकर है। कहा भगवान ने जीव जंतु की उत्पत्ति प्रकृति के संतुलन के लिए की है। इसलिए जीव की रक्षा करना सबका धर्म है। नरेंद्र सिंह, सुमंत सिंह अन्ना, मृत्युंजय सिंह, भगवती तिवारी, खुशी, दीप्ति, अलका, गुड़िया, उपेन्द्र सिंह, शिवबच्चन सिंह आदि मौजूद थे।