चार सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा गंगा का जलस्तर
जागरण संवाददाता चहनियां/टांडाकला (चंदौली) गंगा का जलस्तर चार सेंटीमीटर प्रति घंटा की
जागरण संवाददाता, चहनियां/टांडाकला (चंदौली) : गंगा का जलस्तर चार सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा है। मंगलवार को जलस्तर 67 मीटर रिकार्ड किया गया। जिले में खतरे का बिदु 71.262 मीटर है। इसी रफ्तार से पानी बढ़ता रहा तो जल्द ही गंगा खतरे के निशान से ऊपर हो जाएंगी। वहीं तटवर्ती इलाके के 120 गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे। इसको लेकर ग्रामीणों की चिता बढ़ गई है। गंगा के किनारे मुगलसराय और सकलडीहा तहसील के 120 गांव बसे हुए हैं। ग्रामीणों को अक्सर बाढ़ की आपदा से दो-चार होना पड़ता है। जिले में 2013 में गंगा में भीषण बाढ़ आई थी। वहीं 2017 में भी गंगा खतरे के निशान को पार कर गई थीं। पिछले तीन-चार साल से गंगा का जलस्तर सामान्य रहा, हालांकि इस बार तेजी से पानी बढ़ रहा है। इससे स्थिति गंभीर हो गई है। जिला प्रशासन के अनुसार मंगलवार को जलस्तर 67 मीटर है, जो खतरे के निशान से मात्र चार मीटर नीचे है। गंगा में चार सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रहा है। यदि यही रफ्तार रही तो दो-तीन दिनों में पानी खतरे के बिदु तक पहुंच जाएगा। बाढ़ की स्थिति में ग्रामीणों को तमाम तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है। गांवों में पानी भर जाता है। दूसरे गांवों से संपर्क टूट जाता है। वहीं बिजली आपूर्ति एक-एक माह के लिए प्रभावित हो जाती है। लोगों को पशुओं के साथ ऊंचाई पर शरण लेनी पड़ती है। इस बार गंगा में उफान देखकर ग्रामीण सशंकित हो गए हैं। अपर जिलाधिकारी अतुल कुमार ने बताया कि तटवर्ती इलाकों में निगरानी की जा रही है। प्रशासन किसी भी तरह की चुनौती से निबटने के लिए तैयार है। फसल को भी होता है काफी नुकसान
गंगा में बाढ़ से जनजीवन तो प्रभावित होता है। वहीं फसल को भी खासा नुकसान होता है। खासतौर से सब्जी की खेती बर्बाद हो जाती है। गंगा के तराई इलाके में किसान सब्जी, मिर्च आदि की खेती करते हैं। एक बार सब्जी की फसल जलमग्न हुई, तो फसल नष्ट होना तय है। किसानों को दोबारा नए सिरे से खेती करनी पड़ती है।