भक्ति को धन से नहीं भाव से ही प्राप्त किया जा सकता है

जागरण संवाददाता पीडीडीयू नगर (चंदौली) ईश्वर प्राप्ति की आयु निर्धारित नहीं है। यह तो तो

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Nov 2020 10:22 PM (IST) Updated:Thu, 05 Nov 2020 10:22 PM (IST)
भक्ति को धन से नहीं भाव से ही प्राप्त किया जा सकता है
भक्ति को धन से नहीं भाव से ही प्राप्त किया जा सकता है

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : ईश्वर प्राप्ति की आयु निर्धारित नहीं है। यह तो तो भाव और भक्ति से कभी भी प्राप्त हो किया जा सकता है। इसी भक्ति भाव से पांच साल के ध्रुव और 60 साल के नंदबाबा दोनों को ही ईश्वर की प्राप्ति हुई। बच्चों के जीवन में मां प्रथम गुरु होती है। संतान को संस्कारवान बनाने में माता का विशेष योगदान होता है। आज हमें इस बात को समझने की सबसे अधिक आवश्यकता है। हम संतान को संस्कारवान नहीं बना पा रहे हैं। उक्त बातें श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के सात दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन बुधवार की रात कथावाचक अखिलानंद महाराज ने कही।

कहा कि जहां भगवान की कथा होती है और जहां भक्त कथा श्रवण करते हैं, वहां भगवान पधारते हैं। जो भगवान के चरणों में अपने को समर्पित करता है, उसके ऊपर कलि का प्रभाव नहीं पड़ता। भक्ति को धन से नहीं भाव से ही प्राप्त किया जा सकता है। कल्पवृक्ष के नीचे बैठकर जो मन में विचार आ जाता है, वह पूरा हो जाता है। मनुष्य की इच्छाएं अनंत होतीं हैं। वह सबकुछ पाना चाहता है लेकिन श्रीमद्भागवत रूपी कल्पवृक्ष भक्ति और मुक्ति दोनों देता है। संजय अग्रवाल, दिनेश सिंह, संतोष पाठक, संजय तिवारी, राजीव गुप्ता, आलोक, रमेश सिंह आदि उपस्थित थे।

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