रबी सीजन में डीएपी की किल्लत, गेहूं की बोआई पर संकट

जागरण संवाददाता चंदौली धान के कटोरे में रबी फसलों की बोआई के पीक सीजन में डीएपी समि

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 06:14 PM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 06:14 PM (IST)
रबी सीजन में डीएपी की किल्लत, गेहूं की बोआई पर संकट
रबी सीजन में डीएपी की किल्लत, गेहूं की बोआई पर संकट

जागरण संवाददाता, चंदौली : धान के कटोरे में रबी फसलों की बोआई के पीक सीजन में डीएपी समितियों से नदारद है। निजी उर्वरक विक्रेताओं के पास मामूली स्टाक उपलब्ध है लेकिन वे किसानों से अधिक कीमत वसूल रहे हैं। रबी सीजन में डीएपी की खपत लगभग 20 हजार टन है। इसके सापेक्ष सहकारी समितियों में मौजूदा समय में मात्र 800 टन खाद ही उपलब्ध है। अधिकारियों की मानें, तो जिले में खाद की आपूर्ति होने में अभी चार-पांच दिन का समय लग सकता है। इससे किसानों की चिताएं बढ़ गई हैं।

किसान इस समय धान की फसल की कटाई व रबी फसलों की बोआई में जुटे हुए हैं। खाद की किल्लत रबी की बोआई में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है। जिले में सहकारी समितियों और निजी विक्रेताओं के यहां डीएपी व यूरिया नदारद है। सहकारी समितियों में मात्र 240 टन व निजी विक्रेताओं के पास लगभग 500 टन उर्वरक उपलब्ध है। इससे रबी फसलों की बोआई का काम बाधित हो गया है। दरअसल, गेहूं व दलहनी फसलों की बोआई के समय डीएपी की जरूरत पड़ती है। किसान खेत की जुताई करने के दौरान ही खाद और बीज डालते हैं। इससे खाद मिट्टी में जल्दी मिल जाती और बीजों से अंकुरित होने वाले नए पौधों का तेजी से विकास होता है। बिना खाद फसल की बोआई करने से किसान कतरा रहे हैं। गेहूं के साथ ही दलहनी व तिलहनी फसलों की खेती

जिले में 1.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारित है। इसमें लगभग 1.10 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती होती है। वहीं शेष भूमि में चना, मसूर, मटर, जौ, सरसो समेत अन्य फसलों की खेती होती है। खाद के अभाव में फसल की बोआई में जितना विलंब होगा, उत्पादन उतना प्रभावित होगा। चार-पांच दिनों में रैक पहुंचने की उम्मीद

जिला कृषि अधिकारी बसंत कुमार दुबे ने बताया कि खाद की डिमांड भेजी गई है। आपूर्ति होने में चार-पांच दिन का समय लगेगा। इसके बाद जिले की 300 से अधिक सहकारी समितियों व निजी दकानों पर खाद की उपलब्धता हो जाएगी और किसानों को परेशानी नहीं होगी। उन्होंने किसानों से जैविक खेती अपनाने की अपील की। बोले, रासायनिक उर्वरक के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत बिगड़ रही है। किसान जैविक खाद का प्रयोग करें। इससे मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा बढ़ेगी। वहीं भरपूर उत्पादन मिलने के साथ कृषि लागत कम होने से अधिक मुनाफा होगा।

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