नहरों का जाल, फिर भी पानी का अकाल

जागरण संवाददाता चकिया (चंदौली) कृषि प्रधान जनपद में नहरों माइनरों का जाल होने के बावजूद

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Dec 2020 04:44 PM (IST) Updated:Sun, 27 Dec 2020 04:44 PM (IST)
नहरों का जाल, फिर भी पानी का अकाल
नहरों का जाल, फिर भी पानी का अकाल

जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : कृषि प्रधान जनपद में नहरों, माइनरों का जाल होने के बावजूद किसान पानी के लिए परेशान हैं। माकूल बरसात होने से बंधी, जलाशय लबालब होने के बावजूद तहसील क्षेत्र में रबी की प्रमुख फसल गेहूं की सिचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। टेल के खेतों तक पानी पहुंचना मुश्किल हो गया है। कारण नहरों, माइनरों की हालत खस्ताहाल है। देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वर्षों से इन नहरों में पानी ही नहीं गया। पानी की जगह मवेशी विचरण कर रहे हैं।

तहसील क्षेत्र में खेतों की सिचाई बांध, बंधियों से संबद्ध नहर, माइनरों पर आधारित है। कर्मनाशा व चंद्रप्रभा सिस्टम से सिचाई होती है। सबसे खराब स्थिति चंद्रप्रभा सिस्टम सहित मोकरम, भोका कट,गनेशपुर, दाउदपुर समेत अन्य छोटी-बड़ी बंधियों की है। कहने को नहरों, माइनरों की सफाई कुलावे, झाल की मरम्मत प्रतिवर्ष सिचाई विभाग के अलावा ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायतों के माध्यम से होती है, लेकिन नतीजा सिफर ही निकलता है। भोकाकट, मोकरम बंधी से निकली जोगिया, गायघाट, उचेहरा माइनर का पानी टेल तक नहीं पहुंच पा रहा है। यह स्थिति पिछले एक दशक से बनी है। नहर घास फूस से पट गई है। कुशही, जोगिया,हेतिमपुर,बरौझी समेत अन्य छोटी-बड़ी नहरों माइनरों की स्थिति भी यही है। किसान हिम्मत सिंह, रामकृष्ण देवगौड़ा, रामसेवक यादव आदि ने संपूर्ण समाधान दिवस में सिचाई विभाग के अधिकारियों से शिकायत की लेकिन समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। पानी के अभाव में गेहूं की फसल सुखने के कगार पर है।

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वर्जन-

नहरों की सफाई के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। धन अवमुक्त होते ही सिचाई व्यवस्था सु²ढ की जाएगी।

मनोज पटेल, सहायक अभियंता बंधी डिविजन

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