पराली प्रबंधन के लिए खरीदें कृषि यंत्र, मिलेगा अनुदान

जागरण संवाददाता चंदौली किसान धान की फसल अवशेष को खेत में जलाने की बजाय इसे जोतकर मिट्टी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 09:00 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 09:00 PM (IST)
पराली प्रबंधन के लिए खरीदें कृषि यंत्र, मिलेगा अनुदान
पराली प्रबंधन के लिए खरीदें कृषि यंत्र, मिलेगा अनुदान

जागरण संवाददाता, चंदौली : किसान धान की फसल अवशेष को खेत में जलाने की बजाय इसे जोतकर मिट्टी में मिला सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। इसको लेकर शासन ने भी पहल की है। पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों की खरीद पर भरपूर अनुदान की व्यवस्था की गई है। एक लाख की लागत का कृषि यंत्र खरीदने पर किसानों को आर्थिक मदद दी जाएगी। इस 40 से 80 फीसद तक सब्सिडी की व्यवस्था है। पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा अभी नियंत्रण में है, हालांकि अक्टूबर में इसका ग्राफ बढ़ेगा। इसके लिए दीपावली पर पटाखे जलाने और खेतों की धान की पराली जलाना अहम कारक हैं। उत्तर भारत के कई प्रदेशों में किसान फसल अवशेष को खेतों में जलाते हैं। इससे उठने वाले धुएं से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है। एक्यूआइ (एयर क्वालिटी इंडेक्स) बढ़कर 125 के पार पहुंच जाता है। यह जनजीवन के लिए घातक साबित होता है। उच्चतम न्यायालय ने खेतों में पराली जलाने पर रोक लगा दी है। इसका उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है। वहीं जुर्माना भी लगाया जाता है। किसान इससे बच सकते हैं। खरीदें यंत्र, मिलेगा अनुदान

मल्चर, स्ट्रा चापर, ड्राइ डिस्क समेत कई ऐसे यंत्र विकसित हैं, जिनकी मदद से किसान पराली को जलाने की बजाए खेतों की जुताई, कटाई कर मिट्टी में मिला सकते हैं या इसका चारा बना सकते हैं। जोते गए धान के ठूंठ को रबी फसलों की सिचाई के दौरान सड़कर जैविक खाद बना सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और किसानों को फसल का भरपूर उत्पादन मिलेगा। किसान एक लाख तक की लागत के कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। इस पर उन्हें अच्छा-खासा अनुदान मिलेगा। वेस्ट डी कंपोजर होगा कारगर

पराली को सड़ाकर जैविक खाद बनाने के लिए वेस्ट डी कंपोजर का सहारा लिया जा रहा है। कृषि विभाग किसानों को वेस्ट डी-कंपोजर उपलब्ध कराएगा। किसानों को खेत में जगह-जगह पराली इकट्ठा कर इस पर वेस्ट डी कंपोजर का छिड़काव करना होगा। विभाग का दावा है कि एक पखवारे में पराली सड़ जाएगी। किसान इसे उठाकर आसानी से खेत में फेंक सकते हैं। मिट्टी से साथ मिलकर यह जैविक खाद का रूप ले लेगी। ऐसे में किसान को रबी फसलों में कम खाद का इस्तेमाल करना होगा। फार्म मशीनरी बैंक पर भी अनुदान

उप निदेशक कृषि विजेंद्र कुमार ने बताया कि पराली प्रबंधन व फार्म मशीनरी की स्थापना के लिए अनुदान दिया जा रहा है। फार्म मशीनरी के तहत पांच लाख व पराली निस्तारण को एक लाख की लागत तक के कृषि यंत्र खरीदे जा सकते हैं। फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना पर पांच में चार लाख रुपये सब्सिडी मिलेगी। सहकारी व ग्राम पंचायत समितियां भी अपने स्तर से यंत्रों की खरीद सकती हैं।

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