विधि विधान से हुई मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा-अर्चाना

खुर्जा में शरदीय नवरात्र के तीसरे दिन तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन होने के कारण मां चंद्रघंटा और मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना विधि विधान से की गई। नगर के श्रीनवदुर्गाशक्ति मंदिर में श्रद्वालुओं ने माता रानी के दर्शन किए और प्रसाद चढ़ाकर मनोकामना मांगी। इस दौरान कोरोना नियमों का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 06:39 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 06:39 PM (IST)
विधि विधान से हुई मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा-अर्चाना
विधि विधान से हुई मां चंद्रघंटा और कूष्मांडा की पूजा-अर्चाना

बुलंदशहर, जेएनएन। खुर्जा में शरदीय नवरात्र के तीसरे दिन तृतीया और चतुर्थी एक ही दिन होने के कारण मां चंद्रघंटा और मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना विधि विधान से की गई। नगर के श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर में श्रद्धालुओं ने माता रानी के दर्शन किए और प्रसाद चढ़ाकर मनोकामना मांगी। इस दौरान कोरोना नियमों का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

श्रीनवदुर्गा शक्ति मंदिर पर श्रद्धालुओं ने सुबह सात बजे मां दुर्गा की आरती में भाग लिया। मंदिर कमेटी के सदस्य प्रेम प्रकाश अरोरा ने बताया कि इस बार तृतीया व चतुर्थी एक ही दिन पड़ी है। जिस कारण नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा व चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की गई। सबसे पहले तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाईयों का भोग लगाया गया। इसके बाद चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना की गई। मंदिर के पुजारी कमल ने बताया कि मां का चौथा स्वरूप मां कूष्मांडा के नाम से विख्यात है। ईशत हास्य से ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी भगवती का यह चौथा स्वरूप है। दुर्गा स्वरूप में मां के इस रूप का कूष्मांडा नाम से वर्णन आता है। इसकी कांति और आभा सूर्य के समान प्रकाशमान है। जब सृष्टि का विस्तार नहीं हुआ था, तब कूष्मांडा देवी ने ही सृष्टि का विस्तार किया। श्रद्धालुओं ने दुर्गा के चौथे स्वरूप की आराधना की। वहीं मातारानी को बैंगनी रंग की पोशाक धारण कर पूजा की गई और दूध का भोग लगाया गया। उधर सुबह से लेकर शाम तक श्रद्धालुओं ने मातारानी के दर्शन किए और प्रार्थना की।

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