कोरोना गाइडलाइन के साथ शिवालयों में होगा जलाभिषेक

जेएनएन बुलंदशहर इस बार 25 जुलाई यानि रविवार से आयुष्मान योग में श्रावण मास की शुरुआत हो गई। 26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार रहेगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 11:18 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 11:18 PM (IST)
कोरोना गाइडलाइन के साथ शिवालयों में होगा जलाभिषेक
कोरोना गाइडलाइन के साथ शिवालयों में होगा जलाभिषेक

जेएनएन, बुलंदशहर : इस बार 25 जुलाई यानि रविवार से आयुष्मान योग में श्रावण मास की शुरुआत हो गई। 26 जुलाई को सावन का पहला सोमवार रहेगा। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए कांवड़ यात्रा को लेकर इस बार रोक लगी हुई है। फिर भी शिवभक्तों की आस्था को देख शिवालयों में आकर्षक साज-सज्जा की गई है। कोविड-19 के प्रोटोकोल के साथ जलाभिषेक एवं रुद्राभिषेक की तैयारी की गई है। जिले भर में अब बम भोले बम की जयघोष गुंजायमान रहेगी।

आचार्य प. श्री प्रकाश शर्मा के अनुसार हिदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है। पूरे माह भक्त शिव की भक्ति में लीन रहते हैं। कावंड़ यात्रा पर शिवभक्त निकलते हैं। गंगा घाटों से गंगाजल भरकर लाते हैं और देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक करते हैं। हालांकि कोरोना की वजह से कांवड़ यात्रा इस बार प्रतिबंधित हैं, लेकिन शिव भक्तों का रेला जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक करने के लिए सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में पहुंचेगा। शासन-प्रशासन की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए मंदिरों में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस बार सावन के चारों सोमवार के मंगलकारी संयोग भी बन रहे हैं। ऐसे में इस सावन भोलेनाथ की असीम कृपा भक्तों पर पर बरसेगी। 22 अगस्त रविवार को रक्षा बंधन के दिन श्रावण मास समाप्त हो जाएगा और भाद्रपद माह की शुरुआत हो जाएगी।

सावन के सोमवार में यह बनेंगे शुभ संयोग

26 जुलाई (पहला सोमवार) : घनिष्ठा नक्षत्र, सौभाग्य योग, वणिज करण।

-02 अगस्त (दूसरा सोमवार) : नवमी तिथि, कृतिका नक्षत्र, गर करण एवं सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा।

-09 अगस्त (तीसरा सोमवार) : श्लेषा नक्षत्र, वरीयान योग, शुक्लपक्ष की प्रतिप्रदा तिथि, किमस्तुग्घ्न एवं गर करण।

-16 अगस्त (चौथा सोमवार) : अनुराधा नक्षत्र, ब्रह्मयोग, यायिजय योग, सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। ऐसे करें अभिषेक

सावन के महीने में भगवान शिव के शिवलिग रूप का अभिषेक करें। पंचाक्षरी मंत्र के साथ दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पंचामृत, इत्र, फलों के रस, गंगाजल के बाद शुद्ध जल से अभिषेक कराएं। चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से महादेव का अभिषेक करें। इसके बाद फूल, दूर्वा, बिल्वपत्र, आकपुष्प, धतूरा, कनेल आदि चढ़ाएं। अभ्रक, भांग आदि अर्पित करने के बाद नैवेद्य, फलों से भाग लगाएं। श्रीफल भेंट करने के बाद धूप-दीप से आरती करें। अभिषेक के दौरान पूजन विधि के साथ-साथ मंत्रों का जाप भी बेहद आवश्यक माना गया है। अभिषेक मंत्र न बने तो फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप हो, गायत्री मंत्र हो या शिव भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें।

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