लक्ष्य से कोसों दूर गेहूं खरीद, अधर में लटका भुगतान

लॉकडाउन का असर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गेहूं खरीद पर साफ झलक रहा है। केंद्रों पर समय पर बोरों का न पहुंचना और भुगतान में हो रही देरी के चलते किसानों का मोह भंग होने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 May 2020 11:19 PM (IST) Updated:Mon, 18 May 2020 06:09 AM (IST)
लक्ष्य से कोसों दूर गेहूं खरीद, अधर में लटका भुगतान
लक्ष्य से कोसों दूर गेहूं खरीद, अधर में लटका भुगतान

बुलंदशहर, जेएनएन। लॉकडाउन का असर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गेहूं खरीद पर साफ झलक रहा है। केंद्रों पर समय पर बोरों का न पहुंचना और भुगतान में हो रही देरी के चलते किसानों का मोह भंग होने लगा है। हालात यह हैं कि एक माह की गेहूं खरीद में जनपद के चार लाख में से मात्र 13 हजार किसानों ने सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचा है। 72 घंटों में गेहूं के भुगतान का दावा जनपद में हवा हवाई साबित हो रहा है।

2020-21 गेहूं खरीद सत्र इस बार 15 अप्रैल से शुरू हुआ है, हालांकि पिछले कई वर्षों से एक अप्रैल से योजना का शुभारंभ हो जाता था। गत वर्ष गेहूं खरीद के लिए 139 क्रय केंद्र बनाए गए थे जबकि इस बार मात्र 99 ही बनाए गए हैं। लक्ष्य की सापेक्ष मात्र 40.82 प्रतिशत गेहूं खरीद हुई है। जनपद के चार लाख गेहूं किसानों में से मात्र 13 हजार ने ही सरकारी गेहूं खरीद का लाभ उठाया है। जिन किसानों ने क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचा है उन्हें अभी तक भुगतान तक नहीं कराया गया। जिले भर की बात करें तो 88.79 करोड़ रुपये का गेहूं किसानों ने चार एजेंसियों को बेच दिया है। जबकि 49.39 करोड़ रुपये का ही मात्र भुगतान किया है। जबकि 39 करोड़ 40 लाख रुपये अभी भी गेहूं किसानों को बकाया है।

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कबाड़ियों के गोदाम में भरे बोरे

लॉकडाउन के चलते जूट उद्योग बंद हैं और गेहूं खरीद में बोरों की कमी के चलते खरीद ढर्रे पर नहीं आ रही है। शासन ने राशन दुकानदारों से बोरों की खरीद करने के निर्देश दिए हैं लेकिन इस समय इन दुकानदारों को भी बोरों की आवश्यकता है। क्योंकि नियमित और अतिरिक्त खाद्यान्न कार्डधारकों को वितरित किए जा रहे हैं। ऐसे में कबाड़ियों से बोरों खरीद की जाए तो बोरों को संकट खत्म हो जाएगा। माना जा रहा है कि कबाडियों के गोदामों में काफी बोरे रखे हैं।

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