गर्मी में घड़े की बिक्री ने पकड़ा जोर

खुर्जा में गर्मी शुरू होते ही घड़े के पानी की डिमांड बढ़ गई है। बाजार में सड़कों के फुटपाथ पर घड़ों की बिक्री करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। मांग के अनुसार विक्रेताओं ने घड़ों के कई प्रकार के साइज अपने पास रखे हुए हैं। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते लाकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में जरूरत के सामान की दुकानों को ही खोलने की कुछ समय के लिए अनुमति मिली है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 10:53 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 10:53 PM (IST)
गर्मी में घड़े की बिक्री ने पकड़ा जोर
गर्मी में घड़े की बिक्री ने पकड़ा जोर

बुलंदशहर, जेएनएन। खुर्जा में गर्मी शुरू होते ही घड़े के पानी की डिमांड बढ़ गई है। बाजार में सड़कों के फुटपाथ पर घड़ों की बिक्री करने वालों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। मांग के अनुसार विक्रेताओं ने घड़ों के कई प्रकार के साइज अपने पास रखे हुए हैं। वर्तमान में कोरोना संक्रमण के चलते लाकडाउन लगा हुआ है। ऐसे में जरूरत के सामान की दुकानों को ही खोलने की कुछ समय के लिए अनुमति मिली है। जिस कारण कई घरों में फ्रिज खराब पड़े हुए हैं, तो जिनको फ्रिज लेने थे, वह दुकानों के ना खुलने के कारण फ्रिज नहीं ले सके हैं। ऐसे में अचानक घड़े की डिमांड बढ़ गई है। नगर में गांधी मार्ग पर बने फुटपाथ, जीटी रोड पर सड़क किनारे से लेकर कई स्थानों पर घड़ों की बिक्री हो रही है। इतना ही नहीं घड़े बेचने वाले दिनभर फुटपाथ पर डटे रहते हैं। लोगों ने बताया कि वर्तमान समय में घड़े का पानी ही पीना चाहिए क्योंकि मिट्टी में ऐसे गुण होते हैं, तो पानी की अशुद्धियों को खुद ही समाप्त कर देते हैं। वहीं घड़े में पानी हमेशा ताजा और ठंडा रहता है। कोरोना में किसानों को भारी नुकसान, नहीं मिल रहे रेट

बुगरासी में कोरोना संक्रमण में पिछले साल की तरह इस वर्ष भी किसानों को भारी आर्थिक क्षति हो रही है। सब्जी के रेट नहीं मिलने के कारण किसान परेशान हैं। पिछले वर्ष कोरोना के चलते कई माह लाकडाउन रहा था। इसमें पत्ता गोभी सहित टमाटर, खीरे आदि के रेट काफी कम रहे थे। पत्ता गोभी तो किसानों ने खेत में ही जोत दी थी। असल में वैवाहिक कार्यक्रम के सूक्ष्म होने सहित होटल आदि के बन्द होने के कारण पत्ता गोभी की मांग ही खत्म हो गई। इस वर्ष भी कुछ सब्जियों के हाल बुरे हैं। टमाटर, खीरे आदि के रेट ही नहीं मिल रहे। आलम यह है कि किसानों का टमाटर मात्र दो रुपए किलो प्रति किलो तक बिक रहा है जबकि ग्राहकों को बाजार में यही टमाटर 10 रुपए प्रति किलो तक मिल रहा है। खीरे का भी रेट मात्र साढ़े तीन रुपए किलो है जबकि यही खीरा ग्राहकों को 10 रुपए किलो मिल रहा है। किसान कम रेट को लेकर परेशान हैं तो ग्राहक महंगाई का रोना रो रहे हैं जबकि बेचने वालों को तीन गुने तक का लाभ हो रहा है।

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