औषधीय पौधों से महक रहा घर का आंगन
जेएनएन बुलंदशहर कोरोना महामारी ने यह एहसास हर किसी को करा दिया कि आक्सीजन हमारे जीवन के लिए किसी अनमोल है। भागदौड़ भरी जिदगी में मनुष्य प्रकृति का सौंदर्य कहे जाने वाले पेड़-पौधों से दूरी बनाता जा रहा है। जबकि आक्सीजन का मुख्य स्त्रोत यहीं हरे-भरे पेड़ ही हैं।
जेएनएन, बुलंदशहर: कोरोना महामारी ने यह एहसास हर किसी को करा दिया कि आक्सीजन हमारे जीवन के लिए किसी अनमोल है। भागदौड़ भरी जिदगी में मनुष्य प्रकृति का सौंदर्य कहे जाने वाले पेड़-पौधों से दूरी बनाता जा रहा है। जबकि आक्सीजन का मुख्य स्त्रोत यहीं हरे-भरे पेड़ ही हैं। पेड़-पौधों का महत्व सुनील गुप्ता आदर्श पूरी तरह से समझते हैं। यहीं कारण है कि उन्होंने अपने घर के आंगन और छत को बगिया के रूप में तब्दील कर आक्सीजन पार्क बना दिया है। इतना ही नहीं वह अपने परिवार के सदस्यों समेत अन्य लोगों से पौधारोपण करने की अपील करते रहते हैं। जिससे आक्सीजन का स्तर वातावरण से गिरने ना पाए।
मोहल्ला पीली कोठी निवासी सुनील गुप्ता आदर्श पेशे से व्यापारी हैं। व्यापार में व्यस्त रहने के बावजूद भी प्रकृति के प्रति उनका बेहद लगाव है। बचपन से ही उनको पौधे लगाने और उनकी देखरेख करने की ललक लगी रहती थी। यहीं कारण रहा है कि वह कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े रहे और खुद पौधारोपण किया। साथ ही संस्था के सदस्यों को भी जागरूक करते हुए पौधारोपण कराया। उनके द्वारा लगाए गए दर्जनों पौधे आज पेड़ बनकर लहलहा रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने अपने मकान को बगिया के रूप में तब्दील कर लिया है। उनके मकान के आंगन और छत पर करीब सौ से अधिक पौधे गमलों में लगाए हुए हैं। जिनमें कड़ी-पत्ता, तुलसी, अमरूद, रजनीगंधा, चंपा, चमेली, एलोबिरा, चोरा-चोरी, इलायजी आदि समेत औषधीय पौधे शामिल हैं। सुबह और शाम उनका समय पौधों की देखरेख और लालन-पोषण में ही व्यतीत होता है। सुबह उठते ही वह सबसे पहले पौधों को पानी देते हैं। उसके बाद गमले व अन्य बर्तनों में लगे पौधों की निराई आदि करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो चुका है। अपने मकान में बनाई छोटी बगिया के जरिए वह दूसरों को भी संदेह दे रहे हैं। सुनील गुप्ता आदर्श बताते हैं कि उनके माता-पिता से ही उन्हें प्रकृति से प्रेम की प्रेरणा मिली हैं। जिसे वह अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों को भी दे रहे हैं। जिससे उनका पर्यावरण प्रेम बना रहें।
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पौधे भी करते हैं भेंट
सुनील गुप्ता आदर्श ने बताया कि मानसून के दौरान वह काफी पौधों को नर्सरी से खरीदकर ले आते हैं। अपने नमकीन के व्यापार के साथ-साथ वह लोगों को मानसून सत्र में पौधे भी भेंट करते हैं। साथ ही उसे पौधे को लगाकर देखरेख करने की अपील भी उनसे की जाती है। जिससे प्रकृति के श्रंगार में किसी भी तरह की कोई कमी ना रहने पाए। उन्होंने बताया कि इस वर्ष उन्होंने छायादार व फलदार पौधे नर्सरी से मंगाए हैं।