पहले लो एनओसी, नहीं तो जाना पडे़गा जेल, लगेगा जुर्माना
धरती का सीना चीर जल का दोहन करना अब औद्योगिक और व्यवसायिक इकाईयों को महंगा पड़ सकता है। भू-गर्भ जल प्रबंधन परिषद के पोर्टल पर इन इकाईयों को पंजीकरण कराना होगा। कितना भू-गर्भ जल का दोहन प्रतिदिन कर रही हैं यह भी बताना होगा। ऐसा नहीं करने पर वाली इकाईयों पर दो से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना ठोका जाएगा। संचालकों को जेल की हवा तक खानी पडे़गी।
जेएनएन, बुलंदशहर। धरती का सीना चीर जल का दोहन करना अब औद्योगिक और व्यवसायिक इकाइयों को महंगा पड़ सकता है। भू-गर्भ जल प्रबंधन परिषद के पोर्टल पर इन इकाईयों को पंजीकरण कराना होगा। कितना भू-गर्भ जल का दोहन प्रतिदिन कर रही हैं, यह भी बताना होगा। ऐसा नहीं करने पर वाली इकाईयों पर दो से पांच लाख रुपये तक का जुर्माना ठोका जाएगा। संचालकों को जेल की हवा तक खानी पडे़गी।
पानी की बर्बादी रोक गिराते भू-जल में सुधार लाने और राजस्व वसूली के लिए सरकार ने कवायद शुरू की। उप्र भू-गर्भ जल (प्रबंधन और विनियम) अधिनियम-2्र019 बनाकर प्रदेश में लागू किया। जिसके अनुसार भू-गर्भ जल का दोहन कर रही औद्योगिक और व्यवसायिक इकाईयों को एनओसी लेने की प्रक्रिया को आसान बनाया। केंद्रीय भू-गर्भ जल बोर्ड, नई दिल्ली से मिलने वाली एनओसी को अब जिला स्तर से दिलाने की व्यवस्था की है। इसके लिए डीएम की अध्यक्षता में जिला भू-गर्भ जल प्रबंधन परिषद, बुलंदशहर का गठन किया है। इन्हें सौंपी जिम्मेदारी
जिला भू-गर्भ जल प्रबंधन परिषद ने अपनी तीन सदस्यीय उप समिति बनाई है। जिसमें सहायक अभियंता लघु सिचाई को अध्यक्ष और सहायक अभियंता भू-गर्भ जल विभाग बुलंदशहर-गौतमबुद्ध नगर को सदस्य सचिव, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सदस्य बनाया है। इन तीनों विभागों के अफसरों को औद्योगिक और व्यवसायिक इकाईयों का आनलाइन पंजीकरण कराने, आवेदन का सत्यापन कर रिपोर्ट सबमिट कराने, अधिनियम के उलंघन पर कार्रवाई की जिम्मेदारी सौंपी है। यह मानक करेंगे होंगे पूरे
- पांच हजार शुल्क जमा कर ह्वश्चद्द2श्रठ्ठद्यद्बठ्ठद्ग.द्बठ्ठ पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा।
- पाइप लाइन में पीजो मीटर लगाना होगा।
- भू-गर्भ जल स्तर नापने के लिए मीटर लगाना होगा।
- लाग बुक बनानी होगी।, इसमें रोजाना दोहन किए गए भू-गर्भ जल की रीडिग अंकित करनी होंगी।
- चेकिग के समय अफसरों को यह लागबुक दिखानी होगी। इन्होंने कहा.. एनओसी के लिए अभी तक पोर्टल पर करीब 17 आवेदन प्राप्त हुए हैं। उप समिति इन आवेदनों का सत्यापन कर रही है। उप समिति की रिपोर्ट के बाद जिला भू-गर्भ जल प्रबंधन परिषद की ओर से औद्योगिक और व्यवसायिक इकाईयों को एनओसी जारी की जाएगी।
बीपी सिंह, सहायक अभियंता लघु सिचाई। भू-गर्भ जल का दोहन करने वाली सभी औद्योगिक और व्यवसायिक इकाईयों को अब जिला स्तर से एनओसी से लेनी होगी। उलंघन पर अधिनियम में दी गई व्यवस्था के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
अजय कुमार कुशवाहा, सहायक अभियंता पर्यावरण, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। ------
प्रशांत