कहीं भजनों की प्रस्तुति कहीं वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज

गुरु के प्रति समर्पित पर्व गुरु पूर्णिमा भक्तों के लिए खास रहा। कहीं भक्तों ने मनोहारी भजनों से अपने गुरुवर की महिमा पर प्रकाश डाला तो कहीं हवन-यज्ञ करने से वैदिक मंत्रोच्चार वातावरण में गुंजायमान रहे। जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाकर भक्तों ने गुरु के असीम प्रेम को प्राप्त किया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 10:43 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 10:43 PM (IST)
कहीं भजनों की प्रस्तुति कहीं वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज
कहीं भजनों की प्रस्तुति कहीं वैदिक मंत्रोच्चार की गूंज

जेएनएन, बुलंदशहर । गुरु के प्रति समर्पित पर्व गुरु पूर्णिमा भक्तों के लिए खास रहा। कहीं भक्तों ने मनोहारी भजनों से अपने गुरुवर की महिमा पर प्रकाश डाला तो कहीं हवन-यज्ञ करने से वैदिक मंत्रोच्चार वातावरण में गुंजायमान रहे। जिलेभर में हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाकर भक्तों ने गुरु के असीम प्रेम को प्राप्त किया।

गुरु ही शिष्य का मार्ग करते प्रशस्त

सिद्धाश्रम श्री मोहन कुटी न्यास पर गुरु पूर्णिमा पर्व पर श्रद्धालुओं ने सुंदरकांड का पाठ किया। गायत्री महायज्ञ में आहूतियां समर्पित कर मंगल का कामना की। गुरुवार को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। इस मौके पर व्यवस्थापक अशोक कुमार गर्ग युग प्रहरी ने बताया कि ऋषि परंपरा के अनुसार गुरु और शिष्य के महत्व को समझाने के लिए गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन होता है। गुरु ही शिष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। कहा कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा ने भी अपने संदेशों के जरिए यही समझाया है। समापन पर श्रद्धालुओं को मां अन्नपूर्णा का प्रसाद ग्रहण कराया गया। कार्यक्रम में मुख्य यजमान पत्नी सहित लक्ष्मी नारायण गर्ग रहे। आयोजन में डा. सुधीर अग्रवाल, विश्वास गोस्वामी, प्रेमपाल सिंह, हरी बाबू अग्रवाल, अवधेश मित्तल, मिथलेश गर्ग, सरोज देवी, वीर सिंह आदि मौजूद रहे।

तपस्थली पर रहता है तप का असर

खुर्जा रोड स्थित वैंक्वेट हाल में आयोजित कार्यक्रम में योगीराज अनिल शर्मा ने कहा कि कर्म ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी है। इसलिए लोगों को कर्म पर ध्यान देना चाहिए। सांसारिक नियमों के पालन के साथ योगमय जीवन जीने के लिए भी प्रेरित किया। कहा कि योगियों के पास वह शक्ति होती है जिससे वह एक ही समय मे कई शरीर धारण कर सकते हैं। जो सिद्ध योगी एक ही स्थान पर अपना अनुष्ठान और ध्यान करते है, वहां 5000 वर्षों तक उनके योग तप का असर रहता है। उन्होंने अपने गुरु योगेश्वर चंद्रमोहन के जीवन पर प्रकाश डाला। कहा कि गुरु शिष्य का संबंध इतना गहरा होता है कि गुरु शिष्य के मन की बात जान लेते है।

गुरु सत्ता का विधान और भाव से किया पूजन

गुरु पूर्णिमा के पर्व पर श्री द्वादशमहालिगेश्वर सिद्धमहापीठ पर देवगुरु बृहस्पति के साथ समस्त गुरु सत्ता का विधान और भाव के साथ पूजन किया गया। इस मौके पर आचार्य मनजीत धर्मध्वज ने गुरु की महत्ता पर प्रकाश डाला। बताया कि गुरु हमें सद और असद का बोध कराकर हमारे जीवन पथ को प्रशस्त करते हैं। धर्मपाल सिंह ने गुरु तत्व की विशद व्याख्या कर गुरु के महत्व के बारे में बताया। पूजन के बाद भंडारा आयोजित करके प्रसाद वितरित किया गया। कार्यक्रम में दूर-दराज से श्रद्धालुओं ने गुरु पूजन में भाग लिया। इस मौके पर अजय त्यागी, मोहित गौतम, सुशील शर्मा, शुभम शर्मा, संदीप कुमार, संजू पंडित, पंडित भोला जोशी, संदीप पयाशी आदि भक्त मौजूद रहे।

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