किसानों के कुल को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिला रहे हैं बुलंदशहर के कुलवंत

जेएनएन बुलंदशहर मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पहुंचे जनपद के अग्रणी किसान कुलवंत सिंह से वर्चुअल वार्ता की।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 11:03 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 11:03 PM (IST)
किसानों के कुल को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिला रहे हैं बुलंदशहर के कुलवंत
किसानों के कुल को अंतराष्ट्रीय ख्याति दिला रहे हैं बुलंदशहर के कुलवंत

जेएनएन, बुलंदशहर :

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में पहुंचे जनपद के अग्रणी किसान कुलवंत सिंह से वर्चुअल वार्ता की। प्रधानमंत्री ने किसान के कार्यों को सराहा और अपने समूह को बढ़ाने तथा अन्य किसानों को कनोला आयल की खेती से जोड़ने की बात कही। कुलवंत सिंह ने प्रधानमंत्री को बताया कि वे पूसा संस्थान के साथ धान की उन्नत किस्मों के बीज उत्पादन से जुड़े हुए हैं। इससे अच्छी आमदनी होने के साथ-साथ कई किसानों को भी फायदा पहुंच रहा है। किसानों को अच्छी किस्म के बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कनाड़ा में होने वाली कनोला आयल की खेती को कुलवंत सिंह ने जनपद में शुरू की है। इससे आय दो दोगुनी नहीं बल्कि 10 गुनी होने की बात कही।

शिकारपुर क्षेत्र के गांव करीरा जलालपुर निवासी 45 वर्षीय कुलवंत सिंह करीब 2012 में किसान सहभागिता के अंतर्गत 20 किसानों का समूह बनाया। इस समूह में करीब 100 एकड़ जमीन है और कुलवंत सिंह और उनके भाइयों की करीब 50 एकड़ जमीन इस समूह में शामिल है। पूसा से जारी योजनाओं का लाभ लेकर कृषि यंत्र, आर्थिक मदद और वैज्ञानिकों के नेतृत्व में यह 20 किसानों का समूह 15 प्रकार के बीज उत्पादन करता है। इस बीज को इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट संस्थान के वैज्ञानिक अपने नेतृत्व में किसानों से उत्पादन कराते हैं। इस बीज को पूसा में भेजा जाता है और बाजार से दो से तीन गुणा अधिक फसल का दाम किसानों को प्राप्त होता है।

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समूह कैसे कर रहा काम

इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट संस्थान के माध्यम से किसानों का समूह 15 प्रजातियों की फसल के बीज तैयार करता है। इनके गांव के आसपास स्थित 20 गांवों के करीब 200 किसान इनके अनुभव से आज अच्छी आय अर्जित कर रहे हैं। धान और गेहूं के बीज, चना देसी, चना सफेद और हरा, मसूर की दो प्रजाति, गाजर, मूली, प्याज, लौकी, तोरई, भिडी, करेला, लोभिया आदि की फसल वैज्ञानिकों के विजिट और मार्गदर्शन पर होती है और पूर्णतया: जैविक है। बीज उत्पादन में पूसा इन्हें फसल के अनुसार 20 से 70 फीसदी बाजार रेट से अधिक मूल्य देती है।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला समूह

कुलवंत सिंह जुपिटर द ग्रुप ऑफ प्रोग्रेसिव फार्मर नाम का किसान समूह चलाते हैं। इंटर पास कुलवंत सिंह ने कनाड़ा की मुख्य फसल में शामिल कनोला आयल की शुरुआत की है। इससे पूर्व वह सरसों की प्रजाति पीएम-30 और पीएम-31 आयल की खेती करते थे। अब यह समूह कनोला आयल की खेती कर रहा है। कुलवंत सिंह ने बताया कि घी में 40 फीसद और सरसों तेल में 25 से 30 फीसद लोइरोसिक तत्व होता है जो शरीर को हानि पहुंचाता है। बताया कि डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार कनोला आयल में लोइरोसिक तत्व की मात्रा मात्र दो प्रतिशत है। ऐसे में यह शरीर के लिए हानिकारक नहीं है और शरीर को दुरुस्त रखता है। कुलवंत सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री से बात कर काफी अच्छा लगा। आगे काम करने के लिए प्रोत्साहन मिला है। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि प्रधानमंत्री से बात करने का भी मौका मिलेगा।

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किसानों की तकदीर बदल देगा कनोला आयल

कुलवंत सिंह ने बताया कि कनोला आयल बाजार में 1100 रुपये प्रति किलो बिकता है। सरसों से कम लागत है और जलवायु और तापमान का सही ज्ञान हो तो अन्य फसलों की सापेक्ष 40 से 50 गुणा अधिक आय होगी। बाजार में कनोला आयल बिक्री के लिए ग्राहक नहीं खोजने पड़ते। उन्होंने किसानों को इसके प्रति जागरुक होने की अपील की।

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इन्होंने कहा..

कुलवंत सिंह बीज उत्पादन के अग्रणी किसान हैं, कृषि निदेशालय से इनके बारे में मंगलवार को ही पूछताछ हुई है। इनके समूह की फाइल व अन्य जानकारी निदेशालय को भेजी गई है।

-धनंजय सिंह, कृषि उपनिदेशक। ----------------

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