बिना प्रमाण किसी बात न करें विश्वास

जेएनएन बुलंदशहर वैज्ञानिक मनोवृत्ति से तात्पर्य है कि हम तार्किक रूप से सोचे। जिसका मूल आधार किसी भी घटना की पृष्ठभूमि में उपस्थित कार्य-करण को जानने की प्रवृत्ति होता है। वैज्ञानिक ²ष्टिकोण हमारे अंदर अन्वेषण की प्रवृत्ति विकसित करती है। सोचे। जिसका मूल आधार

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:37 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:37 PM (IST)
बिना प्रमाण किसी बात न करें विश्वास
बिना प्रमाण किसी बात न करें विश्वास

जेएनएन, बुलंदशहर:

वैज्ञानिक मनोवृत्ति से तात्पर्य है कि हम तार्किक रूप से सोचे। जिसका मूल आधार किसी भी घटना की पृष्ठभूमि में उपस्थित कार्य-करण को जानने की प्रवृत्ति होता है। वैज्ञानिक ²ष्टिकोण हमारे अंदर अन्वेषण की प्रवृत्ति विकसित करती है। विवेकपूर्ण निर्णय लेने में सहायता करती है। ताकि बिना किसी प्रमाण के किसी भी बात पर विश्वास न कर सकें। उपस्थित प्रमाण के अनुसार ही उन पर विश्वास किया जा सके। दैनिक जागरण की संस्कारशाला में बुधवार के अंक में प्रकाशित कहानी बच गए इमली के पेड़ यही संदेश देती है।

प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि वैज्ञानिक ²ष्टिकोण के विकास के लिए प्रयास करे। संविधान निर्माताओं ने यही सोचकर वैज्ञानिक ²ष्टिकोण को मौलिक कर्तव्यों की सूची में शामिल किया होगा कि भविष्य में वैज्ञानिक सूचना एवं ज्ञान में वृद्धि से वैज्ञानिक मनोवृत्ति युक्त चेतना सम्पन्न समाज का निर्माण होगा, लेकिन वर्तमान सत्य इससे परे है। धार्मिक भ्रांतियों एवं अंध विश्वास में फंसकर लोग अपने दिमाग को जिज्ञासा या असल दुनिया के साथ प्रयोगात्मकता के प्रति बंद कर देते हैं।

नतीजा, कहानी के अनुसार इमली के पेड़ पर भूत-प्रेत जैसी अंधविश्वासी धारणा जन्म लेने लगती हैं, लेकिन जब इन्हें वैज्ञानिक ²ष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया जाता है तो भ्रांतियां स्वत: मिट जाती हैं। इसलिए समाज में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए जरूरी यह है कि अज्ञानता के अंधकार को मिटा कर ज्ञान की रोशनी फैलाएं। क्योंकि पूरी जिन्दगी में हम जो भी करते हैं वह विज्ञान से जुड़ा होता है। सूरज से धूप में गर्मी, चांद से शीतलता मिलने के कारणों को वैज्ञानिक ²ष्टिकोण के साथ समझाना होगा। तभी हमारे मस्तिष्क में वैज्ञानिक मनोवृत्ति का निर्माण हो सकता है। अपने अज्ञान को स्वीकार कर जवाबों की खोज सकते हैं। किसी भी घटना या परिघटना के रहस्य को वैज्ञानिक ²ष्टि से समझने का प्रयास कर सकते हैं। उसके बाद ही उस पर विश्वास करके समाज में वैज्ञानिक चेतना ला सकते है, तभी समाज आगे बढ़ेगा।

- शरद शर्मा, प्रधानाचार्य, बीडीएम पब्लिक स्कूल, स्याना

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