सुरक्षा करना जरूरी, आनलाइन पढ़ाई कराना मजबूरी

कोरोना के बढ़ते कदम बच्चों की स्कूल आने-जाने की राह रोक रहे हैं। उनकी सुरक्षा को देखते हुए अब स्कूल-कालेजों को 30 अप्रैल तक बंद कर दिया गया है। ऐसे में फिर से बच्चों की पढ़ाई आनलाइन मोड़ पर आई गई है और अन्य गतिविधियां ठहर गई है। जबकि बिना स्कूल खुले फीस चुकाना अभिभावकों को भारी पड़ रहा है। नौनिहालों की सुरक्षा के लिए आनलाइन पढ़ाई को अपनाना उनकी मजबूरी बन गई है। वहीं स्कूल संचालक पिछली बार के अनुभवों से सींख लेकर तकनीक को और अपडेट करने का दावा कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 11:17 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 11:17 PM (IST)
सुरक्षा करना जरूरी, आनलाइन पढ़ाई कराना मजबूरी
सुरक्षा करना जरूरी, आनलाइन पढ़ाई कराना मजबूरी

बुलंदशहर, जेएनएन। कोरोना के बढ़ते कदम बच्चों की स्कूल आने-जाने की राह रोक रहे हैं। उनकी सुरक्षा को देखते हुए अब स्कूल-कालेजों को 30 अप्रैल तक बंद कर दिया गया है। ऐसे में फिर से बच्चों की पढ़ाई आनलाइन मोड़ पर आई गई है और अन्य गतिविधियां ठहर गई है। जबकि बिना स्कूल खुले फीस चुकाना अभिभावकों को भारी पड़ रहा है। नौनिहालों की सुरक्षा के लिए आनलाइन पढ़ाई को अपनाना उनकी मजबूरी बन गई है। वहीं, स्कूल संचालक पिछली बार के अनुभवों से सींख लेकर तकनीक को और अपडेट करने का दावा कर रहे हैं।

जितनी लेते फीस उतने नहीं मिलते संसाधन

यदि सुरक्षा मानकों के साथ बच्चों को कक्षाओं में बैठाया जाए तो वह खुद भी नियमों का पालन करेंगे और अभिभावकों को भी जागरूक करेंगे। जबकि स्कूल संचालक जितनी फीस लेते हैं। उतने संसाधन नहीं दे पाते हैं। यही वजह है कि आनलाइन मोड़ में पढ़ाई होने के बाद भी बच्चे बेहतर नहीं सींख पा रहे हैं और अभिभावकों की जेब भी तराशी जा रही है।

असीम विनोद, अध्यक्ष, अभिभावक एसोसिएशन

आनलाइन पढ़ाई का ज्यादा नहीं मिलता फायदा

बालमन चंचल होता है। उन्हें कक्षाओं में एकाग्रचित होकर बैठाना शिक्षकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। जबकि आनलाइन पढ़ाई में तो यह मुश्किल और बढ़ जाती है। ऐसे में बच्चों को आनलाइन पढ़ाई का ज्यादा फायदा नहीं मिलता। हालांकि कोरोना की रोकथाम करने के लिए बचाव भी जरूरी है और आनलाइन पढ़ाई कराना मजबूरी है।

प्रियंका चौहान, अभिभावक।

फीस के साथ इंटरनेट का बिल भरना मजबूरी

सुरक्षा की ²ष्टि से कोरोना को मात देना भी जरूरी है। इसलिए स्कूल-कालेजों को बंद किया गया है, लेकिन इसके नकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। बच्चे दिनभर मोबाइल पर पढ़ाई कम गेम ज्यादा खेलते हैं। जबकि आनलाइन पढ़ाई का बोझ उठाने के लिए स्कूलों की फीस के साथ इंटरनेट का बिल भरना भी मजबूरी बन गई है।

डा. संजीव, अभिभावक।

आनलाइन पढ़ाई को एप कराए तैयार

फिर से संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देख स्कूल-कालेजों को बंद करके सरकार सावधानी बरत रही है। इस स्थिति से निपटने के लिए स्कूल तैयार है। आनलाइन पढ़ाई की तकनीकी दिक्कतों को दूर किया गया है। भारी भरकम बजट खर्च करके एप तैयार कराए हैं। कुछ एप पर स्लाट भी बुक किए गए। ताकि बच्चे शिक्षकों के वीडियो को आसानी से डाउनलोड कर सकें।

शाह फैजल, चेयरमैन, सेंट मोमिना स्कूल।

आनलाइन व्यवस्था पहले रहेगी और बेहतर

हम आनलाइन और आफलाइन दोनों तरीके से पढ़ाई के लिए तैयार है। कोरोना की रोकथाम के साथ सरकार के निर्देशानुसार स्कूल संचालित होंगे। इस बार यदि आनलाइन पढ़ाई होती है तो व्यवस्था पहले से और बेहतर रहेगी। बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए शिक्षकों को निर्देश दिए गए हैं।

वासिक आजाद, चेयरमैन, आजाद पब्लिक स्कूल।

सरकार के निर्देशों का पालन करना जरूरी

स्कूल खुलने पर बच्चे से लेकर अभिभावकों की दिनचर्या बदल जाती है। सब कुछ अनुशासित हो जाता है। स्कूल में उनका माहौल बदलता है। स्कूल में बच्चे को काफी कुछ सींखने को मिलता है। जबकि आनलाइन प्रणाली में इतना सबकुछ नहीं हो पाता है, लेकिन सरकार के निर्देशों का पालन करना भी जरूरी है।

डा. नीरज सिघल, प्रबंधक, लीलावती कांवेंट स्कूल।

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